हिमाचल के शहरी निकायों के चुनाव में स्थानीय विधायक भी डाल सकेंगे वोट

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आवाज़ ए हिमाचल 

शिमला। हिमाचल प्रदेश में सत्ता बदलते ही पंचायती राज संस्थाओं के अलावा शहरी निकायों पर भी असर पड़ना शुरू हो जाता है। अध्यक्ष व उपाध्यक्ष की कुर्सी हासिल करने के लिए सत्ता पक्ष जद्दोजहद शुरू कर देता है। राज्य में सत्ता बदलते ही इस बार एक बड़ी बात सामने आई है। इसके मुताबिक शहरी निकायों (नगर परिषद व नगर पंचायतों) के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव में स्थानीय विधायक भी वोट डाल सकेंगे।

उदाहरण के तौर पर अगर नगर परिषद में निर्वाचित पार्षदों की संख्या 13 है तो विधायक सहित यह आंकड़ा 14 का हो जाएगा। हैरान करने वाली बात यह है कि एमसी एक्ट 1994 की धारा 10 (3) में पहले से ही विधायक को मतदान का अधिकार प्राप्त था, लेकिन राज्य में यह व्यवस्था लागू ही नहीं हुई। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि एमसी एक्ट (MC act 1994) को लेकर कितनी गंभीरता दिखाई जाती रही है।दीगर है कि राज्य में नगर परिषदों की संख्या 29 है,जबकि नगर पंचायत का आंकड़ा 27 का। इसके अलावा नगर निगमों की संख्या 5 है। हालांकि एक मर्तबा धूमल सरकार ने अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के सीधे चुनाव पार्टी सिंबल भी करवाए थे, लेकिन बाद में वीरभद्र सरकार ने इस निर्णय को पलट दिया था। मौजूदा व्यवस्था में निर्वाचित पार्षद ही अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का फैसला करते हैं।

जानकारी के मुताबिक नालागढ़ नगर परिषद में कांग्रेस समर्थित पार्षदों द्वारा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। इसी बीच नालागढ़ के विधायक केएल ठाकुर ने एक्ट में मतदान का अधिकार होने का मामला उठाया। ताजा घटनाक्रम में शहरी विकास विभाग ने इस बात का स्पष्टीकरण जारी कर दिया है कि एमसी एक्ट 1994 की धारा 10(3) के तहत स्थानीय विधायक को मतदान का अधिकार हासिल है। नालागढ़ नगर परिषद में अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास पारित हो गया था, लेकिन इसी बीच चुनाव में स्थानीय विधायक द्वारा वोट का अधिकार मांगा गया। इसके बाद सोलन प्रशासन ने स्पष्टीकरण को लेकर मामला शहरी विकास विभाग के निदेशालय भेज दिया था।

बता दें कि हिमाचल में इससे पूर्व शहरी निकाय के अध्यक्ष उपाध्यक्ष के चुनाव में विधायक के मताधिकार का कोई भी उदाहरण नहीं था। जानकार बताते हैं कि एमसी एक्ट में बेशक इसका प्रावधान था, लेकिन आज तक किसी का ध्यान इस तरफ नहीं गया था। उल्लेखनीय है कि नालागढ़ में विधायक को नगर परिषद के अध्यक्ष उपाध्यक्ष के चुनाव में वोट का अधिकार मिलने का असर प्रदेश के अन्य शहरी निकायों पर भी पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि परवाणु नगर परिषद में भी अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत हो चुका है।

हिमाचल की राजधानी शिमला में भी नगर निगम के चुनाव को लेकर हलचल चल रही है। निगम के चुनाव को लेकर आरक्षण रोस्टर जारी हो चुका है। माना जा रहा है कि स्थानीय विधायक को मेयर व डिप्टी मेयर के चयन में भी वोट का अधिकार हासिल हो जाएगा। सोलन की उपायुक्त कृतिका कुल्हारी ने कहा कि नालागढ़ में अध्यक्ष के चुनाव में स्थानीय विधायक को वोट का अधिकार है, इस बारे निदेशालय ने स्पष्टीकरण उपलब्ध करवा दिया है। अध्यक्ष के चुनाव को लेकर जल्द ही तिथि निर्धारित कर दी जाए जाएगी। उधर, बातचीत में शहरी विकास विभाग के निदेशक मनमोहन शर्मा ने कहा सचिवालय ने क़ानूनी परामर्श के बाद स्पष्टीकरण जारी किया है। एक सवाल के जवाब में निदेशक ने कहा कि ये व्यवस्था समूचे प्रदेश में ही लागू होगी।

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