आवाज ए हिमाचल
15 मार्च। हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर की ग्राम पंचायत कक्कड़ के पुरली गांव में माता शकुंतला व पिता स्वर्गीय रुलिया राम के घर पैदा हुए वीरेंद्र शर्मा ने अपनी बेहतर अंपायरिंग के जरिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश व देश का नाम रोशन किया है। वह ऐसे पहले हिमाचली हैं जिन्हें बीसीसीआइ (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड) के एलीट पैनल व आइसीसी (अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) के पैनल में शामिल होने का गौरव हासिल है। छोटी उम्र में बतौर बल्लेबाज उन्होंने जिला हमीरपुर की ओर से खेलते हुए अपना क्रिकेट करियर शुरू किया था।हिमाचल की ओर से 51 रणजी मैच खेले। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में दो शतक तथा आठ अर्धशतक उनके नाम हैं। वहीं 2000 के करीब रन बनाए हैं। अपनी दूसरी पारी में उन्होंने वर्ष 2007 में बीसीसीआइ अंपायरिंग टेस्ट पास किया था। बीसीसीआइ उन्हें बेस्ट अंपायर के खिताब से भी सम्मानित कर चुका है।
एक बातचीत में उन्होंने कहा की बेशक मैदान पर अंपायरिंग बेहद चुनौतीपूर्ण काम है। हर किसी की नजर अंपायर पर होती है। ऐसे में कोई भी गलत निर्णय मैच का रुख पलट सकता है तो नए विवाद का भी कारण बन जाता है। ऐसे में खुद पर विश्वास जरूरी है। प्रथम श्रेणी क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद कोचिंग व अंपायरिंग को इसलिए चुना क्योंकि यह दोनों ही क्षेत्र चुनौतीपूर्ण हैं और चुनौती लेना मुझे हमेशा पसंद रहा है। उन्होंने बताया की जीवन में हर सफलता के पीछे मेरे परिवार का भरपूर सहयोग रहा। पत्नी सारिका शर्मा और बेटी विरोनिका जो कथक नृत्यांगना हैं, दोनों ही मेरा हौसला बढ़ाती रहती हैं। आज जो भी सफलता अर्जित कर पाया हूं सब उन्हीं की बदौलत है।