आवाज़ ए हिमाचल
05 अगस्त।टोक्यो ओलंपिक में आज का दिन भारत के नाम रहा।सुबह पहले भारतीय हॉकी टीम ने 41 साल के सूखे को खत्म कर ब्रॉन्ज मेडल जीता।अहम बात यह रही कि यह मेडल जीतने में हिमाचल प्रदेश के गबरू वरुण कुमार का अहम योगदान रहा।
भारतीय हॉकी टीम ने 41 साल बाद ओलंपिक में कांस्य पदक जीता है। वरुण हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के डलहौजी उपमंडल की ओसल पंचायत के रहने वाले हैं। खलंदर गांव निवासी वरुण कुमार का जन्म 25 जुलाई 1995 को हुआ था। वर्तमान में वे परिवार सहित पंजाब के जालंधर में रह रहे हैं।उनके पिता ब्रह्मानंद जालंधर के मीठापुर में पेशे से ट्रक ड्राइवर हैं। वरुण ने अपनी पढ़ाई डीएवी स्कूल से की है। पंजाब के जालंधर में शिक्षा ग्रहण करने के बाद वरुण अब भारत पेट्रोलियम कंपनी नोएडा में सेवाएं दे रहे हैं। उधर, बेटे की उपलब्धि से परिजनों में खुशी का माहौल है।
उन्हें बचपन से हॉकी खेलने का शौक था, लेकिन परिवार की स्थिति ठीक न होने के कारण काफी संघर्ष करना पड़ा। वरुण और भारतीय हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह बचपन के दोस्त हैं। स्कूल समय में ही दोनों साथ ही हॉकी खेला करते थे। शुरुआत में वरुण हॉकी को लेकर गंभीर नहीं थे, लेकिन मनप्रीत ने उन्हें प्रेरित किया। दोनों साथ में सुरजीत हॉकी अकादमी पहुंचे। साल 2012 में पंजाब की टीम में पदार्पण किया। उस समय उनकी उम्र केवल 17 साल थी।शानदार डिफेंस के कारण स्टेट चैंपियनशिप में वह लोगों की नजरों में आ गए थे। उसी साल जूनियर वर्ल्ड कप की टीम के लिए भी चुने गए थे, लेकिन चोट के कारण नहीं खेल पाए। इसके बाद उन्हें साल 2016 में वर्ल्ड कप के लिए चुना गया। उन्होंने अपने प्रदर्शन से टीम को दूसरी बार यह खिताब जिताने में मदद की। इसके अगले ही साल उन्होंने सीनियर टीम में पदार्पण किया और बेल्जियम के खिलाफ गोल कर टीम को जीत दिलाई थी। साल 2016 में ही हॉकी इंडिया लीग में उन्हें महज 18 साल की उम्र में पंजाब वॉरियर्स ने खरीद लिया था। इसी जीत के साथ पूरे देश में जश्न का माहौल है।