हिमाचल में खुलेंगे मोहल्ला क्लिनिक, सड़क हादसे के मरीजों को मिलेगा मुफ्त इलाज
बीजेपी और कांग्रेस के साथ पीएम पर जमकर बोला हमला
आवाज़ ए हिमाचल
ऊना। हिमाचल में आम आदमी पार्टी ने शिक्षा के बाद अब स्वास्थ्य की गारंटी दी है। दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया और पंजाब के सीएम भगवंत मान ने गुरुवार को ऊना में जनता के स्वास्थ्य की चिंता करते हुए उन्हें प्रदेश के अस्पतालों में अच्छे इलाज की गारंटी देने की घोषणा की।
इसके साथ ही उन्होंने शहीद सम्मान राशि गारंटी देने का एलान किया। ऊना में सीएम भगवंत मान ने कहा सेना और पुलिस के जवान अगर ड्यूटी के दौरान शहीद हो जाते हैं तो उनके परिजनों को एक करोड़ रुपये की सम्मान राशि दी जाएगी। आम आदमी पार्टी की सरकार इस व्यवस्था को हिमाचल में लागू करेगी। उन्होंने कहा कि इससे जहां शहीद के परिवार को आत्मनिर्भर करने में मदद मिलेगी। वहीं पंजाब और हिमाचल के युवाओं में सेना के प्रति जुनून बढ़ेगा।
इसके अलावा सीएम भगवंत मान ने कहा कि सत्ता में आने पर आम आदमी पार्टी जनता के टैक्स का पैसा जनता को वापस करेगी। टैक्स के रुपयों से सुविधाएं सुदृढ़ होंगी। वहीं मनीष सिसोदिया ने कहा कि स्वास्थ्य की गारंटी के तहत दिल्ली की तरह हिमाचल के हर नागरिक के लिए निशुल्क व अच्छे इलाज का इंतजाम किया जाएगा। दिल्ली की तरह सभी दवाई, टेस्ट और ऑपरेशन मुफ्त किए जाएंगे। हिमाचल के हर गांव और वार्ड में मोहल्ला क्लिनिक खोला जाएगा। सभी मौजूदा अस्पतालों को शानदार बनाया जाएगा और नए सरकारी अस्पताल खोले जाएंगे। सभी रोड एक्सीडेंट मरीजों को पूरे हिमाचल में मुफ्त इलाज की सुविधा दी जाएगी।
इस दौरान भगवंत मान और मनीष सिसादिया ने प्रदेश की बीजेपी और कांग्रेस पर भी जमकर निशाना साधा। भगवंत मान ने कहा कि पीएम मोदी ने यह कहकर आप पर निशाना साधा है कि हम मुफ्त की रेवड़ी बांट रहे हैं, लेकिन मैं पीएम से पूछना चाहता हूं कि हर खाते में 15 लाख रुपए का वह पापड़ कहां है जो उन्होंने बेचा।
भगवंत मान ने कहा दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक की तर्ज पर पंजाब में भी अब तक 75 मोहल्ला क्लीनिक खोले जाएंगे। जिनमें टेस्ट से लेकर इलाज तक निशुल्क होता है। दूसरी तरफ बीजेपी और कांग्रेस ने हिमाचल में प्राइवेट अस्पताल वालों को इस क्षेत्र में मार्किट बनाकर दी है।
उन्होंने कहा कि बीजेपी हिमाचल प्रदेश में स्थापना के 75 साल मना रहा है, लेकिन आज भी हिमाचल में कई क्षेत्रों में सड़क सुविधा ना होने से बीमार और गर्भवती महिलाओं को चारपाई और कुर्सियों के सहारे सड़क तक पहुंचाना पड़ता है।