आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मंगलवार को सदन में विभिन्न विभागों में आउटसोर्स कर्मचारियों का अनुबंध खत्म होने पर हंगामा हुआ। आउटसोर्स कर्मियों की सेवाएं खत्म करने पर सदन में विपक्ष ने हंगामा और नारेबाजी की। मामले पर विपक्ष ने नियम 67 के तहत स्थगन प्रस्ताव दिया और सारा काम रोककर चर्चा मांगी। लेकिन स्पीकर ने चर्चा की मंजूरी नहीं। विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते हुए वेल में चले गए। काफी देर तक हंगामा चलता रहा। इसके बाद विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चले गए।
प्रश्नकाल के दौरान जब भाजपा के विधायक नारेबाजी करते हुए वेल में पहुंच गए, तब नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया की ओर पीठ करके कुर्सी पर बैठे थे। विपक्ष के सदन से बाहर जाने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने इस पर संज्ञान लेते हुए कहा कि इस तरह का आचरण विधानसभा नियम का उल्लंघन है।उन्होंने नेता प्रतिपक्ष को भविष्य में इस तरह का आचरण नहीं करने की चेतावनी जारी की। पठानिया ने कहा कि नियम 2 और उप नियम 12 के किसी भी सदस्य स्पीकर की ओर पीठ दिखाते हुए सदन को संबोधित नहीं कर सकता। लेकिन नेता प्रतिपक्ष बार-बार आग्रह करने पर भी कुर्सी की ओर नहीं मुड़े और सदन में पीठ दिखाई। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि वे इस पर कोई दंडात्मक कार्रवाई करने के इच्छुक नहीं है।
आउटसोर्स कर्मचारियों को लेकर सरकार नीतिगत फैसला लेगी: मुकेश
मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने सदन में कहा कि आउटसोर्स कर्मचारियों को लेकर सरकार नीतिगत फैसला लेगी। इस संबंध में कैबिनेट सब कमेटी का निर्णय आना है। एक कंपनी ने पांच साल तक हिमाचल में तांडव मचाकर रखा। आउटसोर्स कर्मचारियों का किसी का पीएफ काटा, किसी का नहीं। 100 दिन पहले ही भाजपा को जनता ने बाहर का रास्ता दिखाया है। आउटसोर्स के बारे में नियम 67 विपक्ष को तब याद आया, जब सत्र के तीन दिन बचे हैं। सारा कामकाज ठप कर ऐसे विषय को लिया जाता है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आउटसोर्स कर्मचारियों का मानदेय इसी बजट में 750 बढ़ाई है।