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भवारना। कांगड़ा जिले के तहत भेडू महादेव ब्लाक की पंचायत बारी चंजेहड़ के आंगनबाड़ी केंद्र आरठ में सोमवार को तीन वर्षीय बच्ची की अल्बेंडाजोल (पेट के कीड़े मारने वाली दवा) खाने से मौत हो गई। इस मामले में स्वास्थ्य और महिला एवं बाल विकास विभाग एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी कांगड़ा डा. गुरदर्शन गुप्ता ने डिप्टी सीएमओ व बीएमओ को मामले की जांच का निर्देश दिया है। उपायुक्त कांगड़ा ने पालमपुर के एसडीएम को मामले की जांच का जिम्मा सौंपा है।
नियमों के अनुसार दवा हर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व आशा वर्कर की देखरेख में बच्चों को देनी होती है। आरठ आंगनबाड़ी केंद्र में कार्यकर्ता ने दवा बच्ची की मां के पास दी थी। मां ने जब दवा खिलाई तो बच्ची को उल्टियां शुरू हो गईं। सांस लेने में दिक्कत आने पर बच्ची को सिविल अस्पताल भवारना पहुंचाया, लेकिन एक घंटे के भीतर ही डाक्टरों ने मासूम को मृत घोषित कर दिया। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग यह कहकर पल्लू झाड़ रहा है कि उसका काम आंगनबाड़ी केंद्रों में दवा उपलब्ध करवाना है। बाल विकास परियोजना विभाग यह बताने में परहेज कर रहा है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को प्री-ट्रेनिंग नहीं दी थी।
सिविल अस्पताल भवारना के शिशु रोग विशेषज्ञ डा. वरुणा ने बताया कि जब इस बच्ची को अस्पताल में लाया गया तो उसकी हार्ट बीट न होने के कारण वह ब्राऊट डैड थी तथा तमाम कोशिशों के उपरांत उसका सी.पी.आर. भी किया गया लेकिन वह रिवाइव नहीं हो पाई। बी.एम.ओ. भवारना डा. नवीन राणा ने बताया कि कई बार उल्टी हो जाने के कारण उसका पानी छाती या सांस लेने की जगह चले जाने के कारण भी ऐसी घटनाएं हो जाती हैं।
घटना दुखद है। कृमि दवाइ कैसे पिलाई गई है और बच्ची की मौत का क्या कारण रहा, इसकी जांच के आदेश दिए गए हैं। एसडीएम पालमपुर मामले की जांच करेंगे। पूरी जांच के बाद तथ्य सामने आएंगे।
-डा. निपुण जिंदल, उपायुक्त कांगड़ा
मामला ध्यान में है। बच्ची की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है। डिप्टी सीएमओ व बीएमओ को जांच के निर्देश दिए हैं। इस मामले में जिस किसी की भी लापरवाही सामने आएगी उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
-डा. गुरदर्शन गुप्ता, सीएमओ कांगड़ा
बच्ची को अल्बेंडाजोल देने में लापरवाही की सूचना मिली है। नोटिस जारी कर पूछताछ की जाएगी और कार्रवाई की जाएगी
-वीरेंद्र सिंह, महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी, भेडू महादेव।
दवा खिलाने के बाद बच्ची को उल्टी हुई। उल्टी श्वास नली में चले जाने के कारण बच्ची को सांस लेने में दिक्कत हुई थी। मासूम को बचाने के लिए एक घंटे तक प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली।
-डा. वरुणा, शिशु रोग विशेषज्ञ, सिविल अस्पताल भवारना।