आवाज़ ए हिमाचल
बिलासपुर/सोलन। अदाणी कंपनी के हिमाचल प्रदेश के बरमाणा और दाड़लाघाट स्थित सीमेंट प्लांट बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने के बाद गुरुवार को दिनभर एसीसी प्रबंधन, ट्रांसपोर्टरों और कर्मचारियों में तनातनी रही। दोनों जगह प्लांट स्थल छावनी स्थल में बदल गए। पुलिस विभाग ने एहतियात बरतते हुए दो बटालियन बरमाणा कस्बे में तैनात कर दी हैं। बरमाणा में कड़ी सुरक्षा के बीच एसीसी कंपनी के अधिकारी प्रशासन से वार्ता करने के लिए प्लांट स्थल से निकले। सारा विवाद माल ढुलाई भाड़ा कम करने का है। घाटे का हवाला देकर कंपनी माल ढुलाई भाड़ा कम करना चाह रही है, जिसे ट्रांसपोर्टर मानने को तैयार नहीं। यहां दी बिलासपुर जिला ट्रक ऑपरेटर परिवहन सहकारी सभा (बीडीटीएस), लेबर विभाग और एसीसी प्रबंधन की साढ़े तीन घंटे तक चली बैठक बेनतीजा निकली। वीरवार को पुलिस के पांचवीं भारतीय आरक्षित वाहिनी (महिला) बस्सी और चौथी आईआरबीएन जंगलबेरी की बटालियन के जवान बरमाणा पहुंचे।
डीआईजी मंडी रेंज मधुसूदन शर्मा, पुलिस अधीक्षक बिलासपुर दिवाकर शर्मा और एएसपी राजेंद्र जसवाल ने भी बरमाणा कस्बे और प्लांट का दौरा किया। खुफिया विभाग के अधिकारी भी बरमाणा पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया।
उधर, दाड़लाघाट अंबुजा सीमेंट प्लांट में भी यही हाल रहा। डीएसपी दाड़लाघाट संदीप शर्मा ने बताया कि प्रशासन ने दाड़लाघाट में विवाद को देखते हुए पुलिस की एक बटालियन की मांग की है। फिलहाल यहां 20 पुलिस कर्मी तैनात कर दिए हैं। यहां सुबह 10 बजे जिला प्रशासन ने ट्रांसपोर्टरों को प्लांट स्थल पर बैठक के लिए बुलाया था, लेकिन वहां कंपनी की ओर से कोई नहीं पहुंचा, जिसके बाद ऑपरेटर वापस आ आए। उसके बाद जिला सोलन ट्रांसपोर्ट ऑफिस में सभी ट्रांसपोर्टर इकट्ठे हुए। यहां 16 दिसंबर को होने वाली बैठक में सभी को पहुंचने के लिए कहा गया। इसके बाद उपायुक्त ने सोलन में ट्रांसपोर्टरों को 3:00 बजे बैठक के लिए बुलाया, लेकिन ट्रांसपोर्टरों ने आने से इन्कार कर दिया।
दाड़लाघाट में सुबह ही कंपनी ने प्रोडक्शन स्थल के द्वार बंद कर दिए। यहां सिर्फ बाहर से सामान लेकर आ रहीं गाड़ियां खाली की जा रही थीं, जबकि ट्रांसपोर्टरों की गाड़ियों को भीतर जाने की अनुमति नहीं थी। उधर, सुबह 11:30 बजे बिलासपुर में उपायुक्त कार्यालय में एसीसी प्रबंधन, लेबर विभाग और बीडीटीएस प्रबंधन के बीच बैठक शुरू हुई। उपायुक्त ने एक-एक कर सभी का पक्ष जाना। उसके बाद बीडीटीएस और एसीसी प्रबंधन को एक साथ बिठाकर बैठक की, लेकिन प्रबंधन अपनी बात पर अड़ा रहा। उपायुक्त बिलासपुर पंकज राय ने कहा कि वह अगली बैठक एक या दो दिन में दोबारा करवा रहे थे, लेकिन बीडीटीएस के पदाधिकारियों ने उनसे 20 दिसंबर तक का समय मांगा है। उपायुक्त ने कहा कि बैठक में सभी मुद्दों पर चर्चा हुई। इनमें माल ढुलाई के रेट का मुद्दा, गोदाम, ट्रांसपोरटेशन कॉस्ट, पार्किंग का मुद्दा प्रमुख रहा। उन्होंने कहा कि मामले से संबंधित सारी रिपोर्ट मुख्य सचिव को भेजी जाएगी।
अदाणी कंपनी ने कहा- हर दिन हो रहा था 2.26 करोड़ का नुकसान
अदाणी समूह ने वीरवार शाम आधिकारिक बयान जारी किया है। अदाणी समूह के प्रवक्ता विकास ने कहा कि इन इकाइयों को प्रतिदिन 2.26 करोड़ का नुकसान हा रहा है। इसलिए प्लांट बंद करने पड़े। उन्होंने कहा कि अत्यधिक भाड़ा दरों की मांग करने वाले ट्रक यूनियनों के अड़ियल रुख के कारण दोनों प्लांट बंद करने को मजबूर हो रहे हैं। संवाद
साल 2005 का 6 रुपये किराया देने की बात कर रही कंपनी
सोलन जिला ट्रांसपोर्ट कार्यालय दाड़लाघाट के प्रधान जयदेव कौंडल ने कहा कि साल 2005 में एसीसी कंपनी में हिमाचल, पंजाब और हरियाणा के लिए माल ढुलाई भाड़ा प्रति किलोमीटर 6 रुपये था। उसके बाद अनुबंध के अनुसार दाम बढ़े जो वर्तमान में 11 रुपये प्रति किलोमीटर हैं। कंपनी चाहती है कि रेट दोबारा 6 रुपये किए जाएं। वहीं, बीडीटीएस के प्रधान जीत राम गौतम ने कहा कि बरमाणा में कंपनी को सीमेंट उत्पादन महंगा पड़ रहा है। लागत कम करने के लिए यह योजना बनाई कि सीमेंट पैकिंग के लिए अंबुजा और एसीसी दोनों के लिए एक ही बैग बनेगा। बैग अंबुजा का और अंदर सीमेंट एसीसी का होगा।
अंबुजा कंपनी प्रबंधन के ये हैं आदेश
अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड के मुख्य निर्माण अधिकारी नॉर्थ मनोज जिंदल की ओर से जारी आदेशों में कहा गया है कि ढुलाई और कच्चे माल के दाम बढ़ने से घाटे का हवाला देकर अनिश्चितकालीन के लिए कर्मचारियों को घर रहने और ट्रक ऑपरेटरों को मालभाड़ा कम करने के लिए कहा है।
यार्ड में खड़े कर दिए ट्रक
बुधवार देरशाम कंपनी के बंद होने के निर्देशों के बाद सभी ऑपरेटरों ने अपने ट्रक यार्ड में खड़े कर दिए। हालांकि, सुबह 11:00 बजे तक यार्ड पूरी तरह से भर गया। उसके बाद ट्रक ऑपरेटरों ने सड़कों पर ट्रक खड़े करने शुरू कर दिए। वीरवार शाम तक सड़क किनारे सैकड़ों ट्रक खड़े हो चुके थे। अब यहां जाम की समस्या भी होगी, क्योंकि ज्यादातर ट्रक सड़कों पर खड़े हो गए हैं।
कई दिनों से चल रहा विवाद
एसीएल प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच भी कई दिन से विवाद चल रहा है। अदाणी समूह ने बीते दिनों जारी एक पत्र में कंपनी में कार्यरत कर्मचारियों से कहा है कि ट्रक को परिवहन कार्य या कंपनी में नौकरी का विकल्प चुनें। कंपनी प्रबंधन ने 15 नवंबर को एक सहमति पत्र जारी किया था और ट्रक को उनके या उनके परिवार के सदस्यों के स्वामित्व वाले ट्रकों का विवरण प्रस्तुत करने के लिए 90 दिनों का समय दिया था, जो इसके साथ परिवहन कार्य में लगे थे। कंपनी की नीति के अनुसार, कर्मचारी एक निश्चित अवधि के भीतर या तो इस्तीफा दें या अपने ट्रक को कंपनी से हटा दें ।
सीएम के समक्ष रखा मुद्दा
दाड़लाघाट में अंबुजा सीमेंट प्लांट को बंद करना एक तुगलकी फरमान है। ऐसा करने से इससे जुड़े हजारों लोगों के रोजगार पर संकट खड़ा हो जाएगा। यह मुद्दा मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के समक्ष रखा है। मुख्यमंत्री ने प्रशासन को आदेश दिए हैं कि कंपनी से बात कर मामले का हल निकालें। अगर कंपनी 1992 के समझौते के अनुसार नहीं चलती और स्थानीय ट्रांसपोर्टरों को प्रताड़ित करने से बाज नहीं आई तो सरकार इस मामले में हस्तक्षेप कर कंपनी के खिलाफ कड़ा संज्ञान लेगी। कंपनी ने सिर्फ शेयर खरीदें हैं, मगर लोगों के हितों को नहीं खरीदा है। जनता के हितों की रक्षा करना सरकार का प्रथम दायित्व है।– संजय अवस्थी विधायक अर्की