आवाज ए हिमाचल
18 जनवरी। हिमाचल प्रदेश के नागरिकों को अभी प्रदेश में बिना इजाजत कहीं पर भी जमीन लेने की अनुमति नहीं है। वर्ष 1972 से यहां पर रहने वाले लोग केवल शहरों में 500 मीटर तक जमीन बिना इजाजत ले सकते हैं, परंतु जयराम सरकार हिमाचलियों के लिए एक बड़ी सुविधा आने वाले समय में करने की तैयारी में है। राजस्व संशोधनों का दौर चल रहा है और जो नियम सालों पहले बने हैं, उनको बदलने का समय अब आ चुका है। नियम है कि यहां पर रहने वाले लोग बिना अनुमति के कहीं पर यूंही जमीन नहीं ले सकते। इसके लिए उन्हें सरकार की परमिशन चाहिए। इतना ही नहीं हिमाचली होने का प्रमाण पत्र देना पड़ता है, जिसके बाद नियमों के अनुसार ही वह जमीन ले सकता है। शहरी क्षेत्रों में 500 मीटर तक जमीन लेनी हो, तो उसके लिए अनुमति की जरूरत नहीं, परंतु ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन नहीं ली जा सकती, क्योंकि इसमें कृषक व गैर कृषक का भी कुछ प्रावधान है। ऐसे व्यवधान को अब जयराम सरकार दूर करना चाहती है।
सूत्रों के अनुसार राजस्व संशोधन के लिए जो कमेटी सरकार ने बना रखी है, उसकी ओर से यह सुझाव आया है, जिसपर सरकार गंभीर है। हिमाचल प्रदेश में लोगों के लिए यह बड़ी दिक्कत है। सभी चाहते हैं कि एक जगह से दूसरे स्थान पर जाकर जमीन लें, लेकिन उसकी औपचारिकताएं न हों। लोगों को इजाजत लेने के लिए कई तरह के दस्तावेज देने होते हैं, ऐसे में अब आने वाले समय में यह दिक्कत दूर हो सकती है। कहीं पर भी हिमाचल का व्यक्ति जमीन ले और उस पर किसी तरह की कोई पाबंदी न हो, इसकी व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए सरकार को एक्ट में प्रावधान करना होगा, जिसके लिए विधानसभा में भी जाना पड़ सकता है। एक्ट में संशोधन के लिए इसके अलावा कुछ और भी सुझाव दिए गए हैं, जिस पर भी चर्चा चल रही है। बता दें कि राजस्व संशोधन का विचार राजस्व मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर का है, जिन्होंने 23 सूत्रीय एजेंडे पर अधिकारियों को काम करने के लिए कहा है। यही नहीं, एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई गई है, जिसके बाद छह सब कमेटियां बनाई गई हैं। इन कमेटियों की ओर से ही यह सुझाव आया है, वहीं कई दूसरे सुझाव भी दिए गए हैं। विधानसभा के बजट सत्र में इसमें से कई सुझावों पर एक्ट में संशोधन के लिए प्रस्ताव लाए जाने की उम्मीद है, जिससे यहां पर सालों बाद राजस्व संशोधन होंगे।