आवाज़ ए हिमाचल
22 जनवरी।हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सुंदरनगर में जहरीली शराब पीने से सात लोगों की मौत के मामले में पुलिस की एसआईटी ने मुख्य सरगना समेत तीन और आरोपियों को गिरफ्तार किया है। हमीरपुर स्थित अवैध शराब फैक्ट्री से 6,000 भरी हुई बोतलों समेत करोड़ों का माल पकड़ा गया है। मुख्य सरगना और फैक्ट्री मालिक के घर पर 25 लाख रुपये से ज्यादा नकदी मिली है। पुलिस ने खुलासा किया है कि हमीरपुर स्थित अवैध फैक्ट्री में शराब बनाकर मंडी पहुंचाई गई थी, जिसको पीने से लोगों की जान चली गई। यह फैक्ट्री एसपी आवास से चंद कदम दूरी पर चल रही थी।
मुख्य सरगना कांगड़ा निवासी गौरव मन्हास उर्फ गोरू, शराब सप्लाई का काम संभालने वाला नरेंद्र उर्फ कालू और नकली लेबल डिजाइन करने वाले बैजनाथ निवासी अजय कोली से पूछताछ जारी है।
पुलिस का दावा है कि हमीरपुर में यह अवैध फैक्ट्री पूर्व उप प्रधान प्रवीन ठाकुर की बिल्डिंग में चल रही थी। इस बिल्डिंग में रेनबो कैफे नाम लिखा था।
पुलिस ने इसके साथ ही गोरू से हुई पूछताछ के आधार पर नालागढ़ में भी अवैध शराब फैक्ट्री पकड़ी है। इस फैक्ट्री को गोरू अपने पार्टनरों मनु और गगन की मदद से संचालित करता था। इस फैक्ट्री को भी सीज कर दिया गया है। डीजीपी संजय कुंडू के अनुसार कांगड़ा, सोलन, हमीरपुर और जीरकपुर स्थित कई ठिकानों से पुलिस ने बड़ी मात्रा में शराब बनाने के लिए उपयोग में लाया जाने वाला होलोग्राम, लेबल, कार्टन, उपयोग की जा चुकी बोतलें, स्पिरिट, बोतल के ढक्कन, कच्चा माल व अन्य सामान जब्त किया है।
अब तक की जांच के अनुसार अवैध शराब की खेप कांगड़ा, ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर और मंडी जिले में भेजी गई है। पुलिस ने मुख्य सरगना समेत अन्य आरोपियों की जानकारी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के साथ साझा कर दी है ताकि सभी के खिलाफ वित्तीय जांच कर अवैध रूप से अर्जित संपत्तियों को जब्त किया जा सके।
ऐसे होता था अवैध शराब का कारोबार
अवैध फैक्ट्री में शराब के उत्पादन के लिए स्पिरिट के ड्रम दिल्ली निवासी सागर सैनी मुहैया कराता था। जम्मू कश्मीर के सांबा निवासी एके त्रिपाठी ने अवैध शराब बनाने का फार्मूला मुहैया कराया था। शराब के लिए पानी और खाली बोतलें हमीरपुर से ली जाती थीं। बोतलें, कैप, बॉक्स और खाली कार्टन परवाणू से लाए जाते थे। वीआरवी फूल्स प्राइवेट लिमिटेड नाम के जिस स्टीकर का उपयोग किया जाता था, उसे ग्राफिक डिजाइनर से बनवाया गया था। इसे पूरे अवैध शराब के निर्माण के लिए उपकरणों की खरीद चंडीगढ़ से की गई थी। जांच में यह भी पता चला है कि कुछ सामान जम्मू कश्मीर से भी खरीदा गया। सारा सामान हमीरपुर आने के बाद यूपी के अलीगढ़ निवासी सनी और पुष्पेंद्र कच्चे माल से अवैध शराब तैयार कर पैकेजिंग संभालते थे।
डायरी से खुलेंगे कई और राज
एसआईटी ने मुख्य सरगना गोरू के पालमपुर स्थित आवास से 25 लाख रुपये से ज्यादा कैश, 6000 होलोग्राम स्ट्रिप, स्टैंप बरामद की हैं। इनवॉयस, वीआरवी फूल्स प्राइवेट लिमिटेड के छह लेबल के अलावा एक डायरी भी मिली है। पुलिस सूत्रों का दावा है कि इस डायरी से अवैध शराब उत्पादन से जुड़े कई और राज खुल सकते हैं।
आबकारी विभाग के अफसरों की भूमिका की होगी जांच
डीजीपी संजय कुंडू ने कहा कि पुलिस की जांच में आबकारी विभाग के अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जाएगी। खास बात यह है कि जिस भवन में यह फैक्ट्री चलती थी, उसके मुख्य दरवाजे पर ताला लगा रहता था जबकि पिछले गेट से सारा अवैध कारोबार जारी था। चूंकि भवन मालिक प्रवीन की क्षेत्र में अच्छी छवि थी, इसलिए उसके अवैध शराब के कारोबार से जुड़ने का लोगों को शक भी नहीं हुआ।
डीजीपी बोले- पहली बार 72 घंटे में खुला ऐसा बड़ा केस
शिमला से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पत्रकारों को संबोधित करते हुए डीजीपी संजय कुंडू ने एसआईटी के प्रभारी डीआईजी मंडी रेंज मधूसूदन समेत पूरी टीम की जमकर पीठ थपथपाई। कहा कि हिमाचल में ऐसा पहली बार हुआ है जब अपनी तरह के इतने बड़े और पहले केस को पुलिस ने बेहद प्रोफेशनल तरीके से वैज्ञानिक जांच के आधार पर 72 घंटे में ही खोल दिया।
बताया कि मामले में अब तक सात लोगों की गिरफ्तारी की गई है और जांच में आगे और भी गिरफ्तारी हो सकती है। बता दें इस मामले की जांच के लिए डीआईजी के अलावा एसपी मंडी शालिनी अग्निहोत्री, एसपी अरविंद दिग्विजय नेगी, एसपी क्राइम वीरेंद्र कालिया, एसपी ऊना अर्जित सेन, एसपी बद्दी मोहित चावला, एडिशनल एसपी कांगड़ा पुनीत रघु और एसडीपीओ परवाणू योगेश रोल्टा को शामिल किया गया था।