स्व. प्रेम चंद सिंगला के अस्तुओं में मिली ‘कान्हा जी’ की मूर्ति

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संतों का कहना ऐसी रूहें लाखों करोड़ों में बिरली ही मिलती, 3 फरवरी को पटियाला में होगी रस्म पगड़ी

आवाज़ ए हिमाचल 

शांति गौतम, बीबीएन। हम सबको पता है कि संसार को छोड़कर सबने जाना है फिर भी हम अपनी रोजाना कि जिंदगी मे वयस्त होने के कारण बहुत संस्कारों से पीछे होते जा रहे हैं। साधु संतों का मानना है कि इंसान के अंदर ही भगवान रहता है। उक्त बात तब चरितार्थ हुई जब गत 22 जनवरी रविवार को क्योरटेक ग्रुप बद्दी के एमडी सुमित सिंगला के पिता सेवानिवृत डिप्टी डायरेक्टर विद्युत् बोर्ड प्रेम चंद सिंगला (82) का स्वर्गवास हुआ। रस्म विधि अनुसार जैसे ही संतों ने सुभ् फूल उठाने गए, सुमित सिंगला और स्व प्रेम चंद सिंगला का पोता युवराज सिंह व अन्य परिवार के सदस्य फूल व अंतिम अस्तु एकत्रित कर रहे थे तो संतों ने देखा कि वहां पर फूलों व अस्तुओं में कान्हा जी के रूप की मूर्ति मिली, संतों का तर्क था कि यह कोई सामान्य रूह नहीं बल्कि भगवान के रूप में इस संसार में रह रहे थे, ऐसी रूह लाखों करोड़ों की इस दुनिया में बिरली ही मिलती है।

पंडितों व संतों ने कान्हा की मूर्ति के रूप के सभी को दर्शन करवाए व स्व प्रेम चंद सिंगला के बेटे सुमित सिंगला को कहा कि उनका आशीर्वाद सदैव आपके साथ रहेगा, आपको उनके सिद्धांतों पर चलना होगा। सुमित सिंगला ने उनके अस्तुओं को हरिद्वार में हिंदू रीति रिवाजों के अनुसार विसर्जित किया और कहा कि आज के कलयुग में ऐसी रूहें हैं तब तक यह सृष्टि चलती रहेगी। उन्होंने भगवान से प्रार्थना की कि आज के कलयुग में ऐसी रूह सब के घर में जन्म ले। सुमित सिंगला ने कहा कि भविष्य में सादगी से उनके बताए सिद्धांतों पर चलेंगे व परिवार के मुखिया के रूप में अपनी जिम्मेवारियों का निर्वहन करेगें।उन्होंने बताया कि 3 फरवरी को रस्म पगड़ी व भोग एस डी के एस भवन 2ए स्वर्ण विहार विकास कालोनी पटियाला में रखा गया है।

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