आवाज़ ए हिमाचल
18 मार्च। स्वर्गीय सांसद रामस्वरूप शर्मा के हिमाचल प्रदेश के मंडी स्थित पैतृक गांव जलपहेर में मातम हो रहा है। रामस्वरूप के आत्महत्या करने की बात किसी के गले नहीं उतर रही। मंडी में नौकरी कर रहे रामस्वरूप के मंझले बेटे आनंद स्वरूप ने बताया कि बुधवार सुबह करीब आठ बजे उनके बड़े भाई शांति स्वरूप ने फोन कर घटना की जानकारी दी। वह मंडी में थे।सूचना देने के बाद बड़े भाई छोटे भाई क्रांति स्वरूप के साथ करीब नौ बजे दिल्ली रवाना हुए। बताया कि उनके पिता की आखिरी बार उनकी मां से मंगलवार रात करीब साढ़े 11 बजे बात हुई थी। पिता को कोई टेंशन नहीं थी। बता दें कि स्वर्गीय रामस्वरूप शर्मा के तीन बेटे हैं। सभी शादीशुदा हैं। सबसे बड़े बेटे शांति स्वरूप जोगिंद्रनगर में प्रिंटिंग प्रेस संभालते हैं। आनंद स्वरूप मंडी में नौकरी करते हैं। सबसे छोटे बेटे क्रांति स्वरूप एनएचपीसी में कार्यरत हैं।
मंझले बेटे आनंद स्वरूप ने बताया कि उनकी मां चंपा शर्मा को उनकी मौत का समाचार द्वारका गुजरात में मिला। वह द्वारकाधीश के दर्शनों के लिए गई थीं। इसके बाद वह दिल्ली लौटीं। मां ने बताया कि रात साढ़े 11 बजे उनसे बात हुई थी।
अस्वस्थ होने पर जब पूछा दिल्ली आ जाता हूं तो पिता ने मना कर दिया
मंझले बेटे ने बताया कि उनके पिता हृदयरोगी थे। उन्हें स्टेंट पड़े थे। वह सेहत का काफी ख्याल रखते थे। पिता रामस्वरूप थोड़े दिन से अस्वस्थ थे। दो दिन पहले उनसे बात हुई और हमने दिल्ली आकर इलाज करवाने की बात कही तो पिता ने मना कर दिया। उन्होंने कोई कोई समस्या नहीं है। पूरा परिवार शांति से आरामदायक जिंदगी जी रहा था।
वर्ष 2016 में पहली बार सांसद बनने के बाद दिवंगत रामस्वरूप शर्मा शिवरात्रि समारोह के बाद दिल्ली लौटे थे ,उस समय उन्हें पहला हार्ट अटैक पड़ा था। तब राम मनोहर लोहिया अस्पताल में उन्हें दो स्टेंट भी पड़े थे। इस सदमे से उबरने के बाद 2018 में शिवरात्रि के दो दिन बाद उनके परम मित्र सदर भाजपा के मंडलाध्यक्ष रहे चेतन शर्मा को भी हार्ट अटैक पड़ा था और उनकी अचानक मौत हुई। जिसके बाद रामस्वरूप काफी दुखी थे। उन्होंने ये बात कई मंचों से साझा भी की थी कि उनके बगैर मन नहीं लगता। वहीं कुछ अरसे से सांसद चुपचाप रहते थे। सिर्फ भाषणों में ही उनका जोशिला पन दिखाई देता था। बताया जा रहा है कि घटना से पहले वह बेहद कम बातचीत करते थे।