आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्र विश्वविद्यालय स्तर की परीक्षाएं स्थानीय भाषाओं में दे सकेंगे। देशभर के सभी विश्वविद्यालय से कहा गया है कि वह विद्यार्थियों को परीक्षा में स्थानीय भाषाओं में उत्तर लिखने की अनुमति दें। यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालय से कहा है कि भले ही पाठ्यक्रम अंग्रेजी माध्यम में हो, लेकिन छात्रों को परीक्षा के दौरान स्थानीय भाषाओं में उत्तर देने का विकल्प दिया जाए। राष्टीय शिक्षा नीति के तहत छात्रों को यह सुविधा दी जा सकती है। यूजीसी का मानना है कि प्रत्येक राज्य में विश्वविद्यालयों व कॉलेजों द्वारा स्थानीय भाषाओं में शिक्षण प्रक्रिया को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
इससे विद्यार्थियों, विशेष रूप से सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समूहों को लाभ हुआ है। हालांकि, अकादमिक पारिस्थितिकी अभी भी सामान्य रूप से अंग्रेजी माध्यम केंद्रित ही बनी हुई है। यदि स्थानीय भाषाओं में शिक्षण और मूल्यांकन को सुदृढ़ किया जाए तो इससे शिक्षण अधिगम में विद्यार्थियों की सहभागिता बढ़ेगी, जिससे उनके सफलता दर में वृद्धि होगी। यह 2035 तक उच्चत्तर शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को 27 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक बढ़ाने के परिकल्पित लक्ष्य प्राप्त करने के प्रयासों को विशेष रूप से मजबूती प्रदान करेगा।