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बद्दी (सोलन)। देश के पहले एंटीबायोटिक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण को लेकर प्रक्रिया शुरू हो गई है। तकनीकी वेरिफिकेशन (सत्पापन) का कार्य किया जा रहा है। बद्दी के मलपुर में एक छोटा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जा रहा है। तीन माह में इसका कार्य पूरा कर दिया जाएगा। इसमें उद्योगों से निकलने वाले वेस्ट रसायन को ट्रीट किया जाएगा।
यदि यह सफल रहा तो बड़े स्तर का एंटीबायोटिक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा, जिसमें रोजाना तीन मिलियन लीटर पानी को ट्रीट किया जाएगा। प्लांट निर्माण को लेकर तमाम औपचारिकताएं पूरी की जा चुकी हैं। भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान (आईआईटी) रूपनगर और पंजाब विश्वविद्यालय प्लांट का तकनीकी वेरिफिकेशन करेंगे। अभी इस प्लांट की लागत भी सरकार ने बढ़ा दी है। पहले जहां यह प्लांट 26 करोड़ में लगना था, अब 45 करोड़ रुपये का प्रस्ताव केंद्र को भेज दिया गया है। संवाद
गौर रहे कि अभी तक देश में कहीं पर भी फार्मा उद्योगों से निकलने वाले पानी से एंटीबायोटिक और दवाओं से घुलनशील ठोस कचरे (टीडीएस) को अलग करने का कोई भी प्लांट नहीं है। इस प्लांट को स्थापित करने के लिए बीबीएनआईए की ओर से विशेषज्ञ को बतौर कंसलटेंट नियुक्त किया गया है। गाजियाबाद के रहने वाले बीडी ठाकुर को केंद्र सरकार ने वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का कंसलटेंट नियुक्त किया है। उनका कहना है कि एंटीबायोटिक और टीडीएस को अलग करने के लिए काफी सूक्ष्म स्तर पर पानी को ट्रीट करना होता है। बद्दी में प्लांट लगने के बाद केंद्र सरकार पूरे देश में इस तरह के प्लांट लगाने की सोच रही है।
बीबीएन प्रदेश का सबसे बड़ा फार्मा हब है। यहां पर करीब 300 दवा उद्योग हैं। इनसे प्रतिदिन तीन एमएलडी रसायनयुक्त पानी निकलता है। कुल 25 एमएलडी पानी सीईटीपी में जाता है। यह पानी पाइपलाइन और टैंकर के माध्यम से सीईटीपी बद्दी लाया जाता है। ट्रीट करने के बाद पानी को सरसा नदी में छोड़ा जाता है। एंटीबायोटिक ट्रीटमेंट प्लांट लगने के बाद फार्मा कंपनियों से निकलने वाले जहरीले रसायनों को ट्रीट किया जाएगा। प्लांट रसायनों में घुले 121 प्रकार के रसायनों को अलग कर देगा। बीते वर्ष एनजीटी के आदेश के बाद सरसा नदी में भरे पानी के सैंपल में एंटीबायोटिक और टीडीएस की मात्रा अधिक पाई गई थी। यह जलीय जीवों सहित नदी से पानी पीने वाले जानवरों के लिए काफी खतरनाक है।
बद्दी इंफ्रास्ट्रक्चर के सीईओ विजय अरोड़ा ने कहा कि एंटीबायोटिक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर बनाया जाएगा। ट्रीटमेंट प्लांट की वेरिफिकेशन को लेकर कार्य शुरू कर दिया गया है। पहले 26 करोड़ का एस्टिमेट था, मगर कार्य में देरी होने से इसकी लागत बढ़कर 45 करोड़ हो गई है। नया प्रस्ताव बनाकर केंद्र को भेजा गया है, जिसकी स्वीकृति आनी बाकी है। केंद्र सरकार ने 10 करोड़ रुपये बद्दी इंफ्रास्ट्रक्चर को दे दिया है।