आवाज़ ए हिमाचल
महेंद्र सिंह,सैंज(कुल्लू)
23 नवंबर।सैंज जल विद्युत परियोजना में सब कुछ न्योछावर करने वाले प्रभावित परिवारों ने अब सैंज परियोजना प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। ग्रामीणों ने परियोजना प्रबंधन को दो टूक शब्दों में चेतावनी दे दी है।सैज परियोजना बीते कई वर्षों से प्रभावित परिवारों को न तो रोजगार दे रही है और न ही आरआर प्लान के तहत मिलने वाली सुविधाएं प्रदान कर रही हैजिससे खफा होकर अब प्रभावित परिवारों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से परियोजना प्रबंधन की शिकायत करने का मन बना लिया है।
100 मेगावाट उत्पादन क्षमता की सैंज जल विद्युत परियोजना भले ही प्रदेश व देश के लिए हितकारी सावित हुई हो लेकिन परियोजना से प्रभावित हुए घाटी के 130 परिवारों को 1000 दिन का रोजगार, 6 परिवारों को परियोजना में स्थाई रोजगार का वादा अभी तक भी परियोजना प्रबंधन ने पूरा नहीं किया है,लेकिन एक दशक बीत जाने के बावजूद अभी तक न तो 130 परिवारों को 1000 दिन का रोजगार मिल पाया है और न ही परियोजना क्षेत्र के 6 परिवारों को स्थाई रोजगार मिला है।
यही नही परियोजना प्रबंधन ने आज तक परियोजना क्षेत्र में आरआर प्लान के तहत ग्रामीणों को मिलने वाली सुविधाओं को भी प्रदान नहीं किया है । प्रभावित विस्थापित संघ के प्रधान राजकुमार,सचिव रमेश कुमार ने बताया कि राष्ट्रहित में अपनी मातृभूमि कुर्बान करने के बाद भी सैंज जल विद्युत परियोजना घाटी के प्रभावित परिवारों के लिए गम लेकर आई है । वही जिला कुल्लू सड़क संघर्ष समिति व सैंज संयुक्त संघर्ष समिति भी प्रभावित विस्थापित परिवार व यूनियन के साथ खड़ी हो गई है।
जिला कुल्लू सड़क संघर्ष समिति के अध्यक्ष व पूर्व मंत्री ठाकुर सत्य प्रकाश व सैंज संयुक्त संघर्ष समिति के अध्यक्ष महेश शर्मा ने कहा कि लोगों के साथ नाइंसाफी हुई है, जिसका वे ग्रामीणों के साथ मिलकर उनके हकों की लड़ाई लड़ेंगे। विस्थापित नेता नारायण सिंह ठाकुर ने कहां कि सैंज जल विद्युत परियोजना की खातिर मिट्टी में सोना उगाने वाली उपजाऊ भूमि को राष्ट्रहित में कुर्बान किया है, लेकिन बदले में सैंज परियोजना ने ग्रामीणों को जख्म के सिवाए कुछ नहीं दिया है।प्रभावित परिवार आज भी रोजगार मिलने का इंतजार कर रहे हैं।
ग्रामीणों ने कहा कि परियोजना निर्माण के समय परियोजना प्रबंधन ने उन्हें बड़े-बड़े सब्जबाग दिखाए थे,लेकिन परियोजना तैयार होने के बाद अब परियोजना प्रबंधन सभी बातों को भूल विस्थापितों को नजरअंदाज कर रहा है हालांकि परियोजना बनकर तैयार हो चुकी है,लेकिन प्रभावित व विस्थापित परिवारों का रोजगार का मामला अभी भी सिरे नहीं चढ़ पाया है। विस्थापित परिवार पिछले 10 वर्षों से रोजगार के लिए परियोजना प्रबंधन व प्रशासन के द्वारा कई वार गुहार लगा चुके हैं लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि सैंज परियोजना प्रबंधन विस्थापितों को स्थाई रोजगार तो दूर लेकिन अस्थाई रोजगार भी नहीं दे पाया है । सैंज परियोजना विस्थापितों की माने तो ग्रामीणों का आरोप है कि परियोजना प्रबंधन अपने चहेतों को चोर दरवाजे से नौकरियां बांट रहा है और विस्थापितों परिवारों को नो वैकेंसी का बहाना बनाकर खाली हाथ वापस लौटा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सैंज जल विद्युत परियोजना चिन्हित परिवारों को भी रोजगार मुहैया करने में नाकाम साबित हुई है विस्थापित परिवारों ने परियोजना प्रबंधन की करनी और कथनी में सवाल खड़े करते हुए कहा कि सैंज जल विद्युत परियोजना में विस्थापित परिवारों की बेकद्री हो रही है और विस्थापित परिवार रोजगार के लिए पिछले एक दशक से दर-दर भटक रहे हैंऔर परियोजना प्रबंधन चोर दरवाजे से नौकरियां बांट रहा है ।
उधर प्रभावित परिवारों से संबंध रखने वाले नारायण ठाकुर यशपाल चेत राम अजय कुमार श्रवण कुमारइंद्रप्रकाश लीलाधर गुडू राम ज्ञानचंद डीणे राम चेत राम वेली राम उत्तम राम आदि ने परियोजना प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा कि सैज जल विद्युत परियोजना में उन्होंने अपनी भूमि को खोया है लेकिन बदले में हर बार उन्हें आश्वासन ही मिल रहे हैं लेकिन परियोजना प्रबंधन के अधिकारी उनकी उम्मीदों पर पानी फेर रहे हैं।