आवाज ए हिमाचल
5 जनवरी। सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी है। जस्टिस एएम खानविल्कर की अध्यक्षता वाली एक पीठ फैसला सुनाया। इसके साथ ही नए संसद भवन के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है।सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान कहा कि निर्माण कार्य शुरू करने के लिए हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी की मंजूरी आवश्यक है। सुप्रीम कोर्ट ने परियोजना समर्थकों को समिति से अनुमोदन प्राप्त करने का निर्देश दिया। बता दें कि लुटियंस जोन में सेंट्रल विस्टा परियोजना के निर्माण को चुनौती देने वाली याचिकाओं में पर्यावरण मंजूरी समेत कई मुद्दों को उठाया गया था। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 7 दिसंबर को नए संसद भवन के लिए 10 दिसंबर को आधारशिला की अनुमति दी थी, लेकिन इसके साथ में यह भी निर्देश दिया था कि कोई निर्माण नहीं होग
कोर्ट इस दौरान यह तय करेगा कि ये परियोजना कानून के मुताबिक है या नहीं। इस पर रोक लगाई जाए या नहीं। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया था कि परियोजना पैसों की बचत होगी। इश प्रोजेक्ट से सालाना 20 हजार करोड़ की बजत होगी, जिसका भुगतान केंद्र सरकार के मंत्रालयों के लिए किराए के रूप में किया जाता है। इसने यह भी कहा था कि नए संसद भवन के निर्माण का निर्णय जल्दबाजी में नहीं लिया गया है और परियोजना के लिए किसी भी तरीके से किसी कानून या मानदंडों का उल्लंघन नहीं किया गया है।बता दें कि सितंबर, 2019 में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की घोषणा की गई थी। इस परियोजना में संसद की नई त्रिकोणीय इमारत होगी, जिसमें एक साथ 900 से 1200 सांसद बैठ सकेंगे। इसका निर्माण 75वें स्वतंत्रता दिवस पर अगस्त, 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा। इसमें केंद्रीय सचिवालय का निर्माण वर्ष 2024 तक करने की योजना है।