सीडब्ल्यूसी की बैठक में फैसला, नए कांग्रेस अध्यक्ष के लिए मई में होंगे चुनाव

Spread the love

आवाज ए हिमाचल 

22 जनवरी। कांग्रेस पार्टी की शीर्ष नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीडल्यूसी) की शुक्रवार को दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में बैठक हुई। कोरोना महामारी के कारण सीडब्ल्यूसी ने डिजिटल तरीके से बैठक की। बैठक में मौजूद सूत्रों के अनुसार नए कांग्रेस अध्यक्ष के लिए मई में चुनाव हो सकते हैं। फिलहाल सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। बैठक में अर्नब गोस्वामी की कथित व्हाट्सएप बातचीत का हवाला देते हुए सोनिया ने कहा कि दूसरों को देशभक्ति और राष्ट्रवाद का प्रमाणपत्र बांटने वाले अब पूरी तरह बेनकाब हो गए हैं।

29 मई को अधिवेशन कराए जाने की भी पेशकश

सूत्रों का कहना है कि वरिष्ठ नेता मधुसूधन मिस्त्री की अध्यक्षता वाले केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण ने कांग्रेस अध्यक्ष समेत संगठन का चुनाव तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, असम और पुडुचेरी के विधानसभा चुनाव के बाद मई में कराने का प्रस्ताव रखा है। सूत्रों का कहना है कि चुनाव प्राधिकरण ने 29 मई को अधिवेशन कराए जाने की भी पेशकश की है। सीडब्ल्यूसी चुनाव प्राधिकरण के प्रस्ताव पर चर्चा कर रही है और आज इस पर कोई अंतिम निर्णय होगा।

राष्ट्रवाद का प्रमाणपत्र बांटने वाले हुए बेनकाब: सोनिया
बैठक में सोनिया गांधी ने रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी की कथित वायरल वाट्सएप चैट को लेकर कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से पूरी तरह से समझौता किया गया। सरकार ने इसपर चुप्पी साधी हुई है। उन्होंने अर्थव्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि सरकार निजीकरण को लेकर हड़बड़ी में है। कोरोना टीकाकरण पर कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि आशा है कोविड टीकाकरण की प्रक्रिया जारी रहेगी और इसे पूरा किया जाएगा।सीडब्ल्यूसी की बैठक में उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि सरकार ने किसान संगठनों के साथ बातचीत के नाम पर हैरान करने वाली असंवेदनशीलता और अहंकार दिखाया है।

सोनिया ने कहा, ‘एक सप्ताह में संसद सत्र आरंभ होने जा रहा है। यह बजट सत्र है, लेकिन जनहित के कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर पूरी तरह चर्चा किए जाने की जरूरत है। क्या सरकार इस पर सहमत होती है, यह देखने होगा।’ केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का उल्लेख करते हुए उन्होंने आरोप लगाया, ‘किसानों का आंदोलन जारी है और सरकार ने बातचीत के नाम पर हैरान करने वाली असंवेदनशीलता और अहंकार दिखाया है।’उन्होंने यह भी कहा, ‘यह स्पष्ट है कि कानून जल्दबाजी में बनाए गए और संसद को इनके प्रभावों का आकलन करने का अवसर नहीं दिया गया। हम इन कानूनों को खारिज करते हैं क्योंकि ये खाद्य सुरक्षा की बुनियादों को ध्वस्त कर देंगे।’

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *