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शिमला। मशोबरा ब्लाॅक की ग्राम पंचायत पीरन में यूको आरसेटी द्वारा महिलाओं के लिए चलाए जा रहे सिलाई सैंटर की अवधि को लोगों ने तीन माह तक बढ़ाने का आग्रह किया है। पीरन पंचायत के लोगों का कहना है कि सिलाई का कार्य सीखने के लिए एक माह की अवधि बहुत कम है जिसमें महिलाएं टेलरिंग का केवल बेसिक ज्ञान हासिल कर सकती है। परंतु इस कार्य से स्वावलम्बी नहीं बन सकती है। लोगों का कहना है कि प्रदेश सरकार यदि महिलाओं को स्वाबलंबी बनाना चाहती है तो इस कार्यक्रम की अवधि को बढ़ाया जाना चाहिए अन्यथा यह प्रशिक्षण कार्य केवल मात्र औपचारिकता बन कर रह जाएगा।
गौर रहे कि यूको आरसेटी शिमला और ग्रामीण विकास मंत्रालय के सौजन्य से बीते दिनों महिलाओं के लिए सिलाई सेंटर खोला गया है जिसमें पीरन पंचायत की 35 महिलाएं सिलाई का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है। इस कार्यक्रम में महिलाओं के लिए साप्ताहिक अवकाश का भी कोई प्रावधान नहीं है। यूको आरसेटी द्वारा 35 महिलाओं को सिलाई का प्रशिक्षण देने के लिए केवल चार सिलाई मशीने रखी गई है जोकि नाकाफी है।
दूसरी ओर जिला शिमला भाजपा पूर्व सदस्य प्रीतम ठाकुर ने कहा कि ग्रामीण स्तर पर महिलाओं को प्रशिक्षित करने का यह एक बहुत अच्छा कार्यक्रम है परंतु इस कार्यक्रम को बनाने वाले विशेषज्ञों ने इस बारे में गंभीरता से विचार नहीं किया कि एक माह में कोई भी दर्जी नहीं बन सकता है। इनका कहना है कि आईटीआई में भी सिलाई की ट्रेनिंग के लिए एक साल की अवधि निर्धारित की गई है।
प्रीतम ठाकुर ने कहा कि सरकार को इस कार्यक्रम पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए और सिलाई प्रशिक्षण कार्यक्रम की अवधि को कम से कम तीन महीने किया जाना चाहिए। ताकि महिलाएं सिलाई का छुटपुट कार्य घर पर आसानी से कर सके।
ग्राम संगठन पीरन की प्रधान विमला वर्मा ने भी बताया कि उनके संगठन ने भी ट्रेनिंग अवधि को तीन माह करने की सरकार से मांग की है। यूको आरसेटी की निदेशक तान्या शर्मा से जब इस बारे बात की गई तो उन्होने बताया कि यह ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार का कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम में उनके स्तर पर कोई बदलाव नहीं हो सकता है।