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संगड़ाह (सिरमौर), 18 अप्रैल। हक नहीं तो वोट नहीं। गिरिपार को यदि जनजातीय दर्जा नहीं मिला तो आने वाले विधानसभा चुनाव में हाटी कबीले का कोई भी व्यक्ति वोट नहीं डालेगा। उपमंडल संगड़ाह के जावगाधार हेलीपेड पर रविवार को हाटी समिति की महाखुमली में 154 पंचायतों से आए हजारों लोगों ने हाथ उठाकर समिति के इस निर्णय इसका समर्थन किया। महाखुमली में रेणुकाजी के विधायक विनय कुमार सहित हाटी समिति के विभिन्न खंडों के पदाधिकारी और 154 पंचायतों से आए लोग शामिल हुए। सभी ने एक मत से जनजातीय दर्जे की मांगी।
हाटी समिति की केंद्रीय इकाई अध्यक्ष डॉ. अमीचंद कमल ने कहा कि अपने हक के लिए आर-पार की लड़ाई लडनी होगी। उन्होंने उपस्थित हाटी कबीले के लोगों से कहा कि उन्हें जनजाति का दर्जा नहीं मिला तो आगामी विधानसभा चुनाव में वोट नहीं डालेंगे। इस पर पंडाल में उपस्थित लोगों ने अपने हाथ खड़े कर वोट न डालने के लिए सहमति जताई। रेणुका के विधायक विनय कुमार ने कहा कि वह हमेशा ही हाटियों के साथ खड़े रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इसी क्षेत्र का एक हिस्सा रहे जोनसार बाबर को अनुसूचित जनजाति का दर्जा 1967 में ही मिल चुका है, जबकि इस क्षेत्र के साथ भारी अन्याय हुआ है। पद्म श्री विद्यानंद सरैक ने कहा कि हाटियो को उनका अधिकार शीघ्र अति शीघ्र मिलना चाहिए। हाटियों की लुप्त हो रही संस्कृति को बचाने के लिए केंद्र व हिमाचल सरकार को सही दिशा में कदम उठाने चाहिए।
महाखुमली को प्रदीप सिंगटा, विकल्प ठाकुर, विश्वराज चौहान, राजेश पुंडीर, मनोज कुमार, शकुंतला चौहान, मीरा चौहान, योगेश, सुनील ठाकुर आदि लोगों ने संबोधित किया। इस दौरान हाटी समुदाय के लोग पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ महाखुमली स्थल पर पहुंचे। साथ ही पारंपरिक वेशभूषा में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए।