आवाज़ ए हिमाचल
07 दिसंबर। आज प्रदेश के जिला सिरमौर के गिरिपार में मनाई जाने वाली बूढ़ी दीवाली अनोखी परंपराओं के साथ संपन्न हुई। बूढ़ी दिवाली की अमावस्या की रात को लोग चीड़ की लकड़ी की मशालें जलाते हैं। इसके बाद गांव की लड़कियों द्वरा दूसरे दिन भीयूंरी गीत का गायन किया जाता है, जबकि उसके बाद तीसरे दिन जोंदोई व चौथे दिन जोंदुउड़ा मनाया जाता है, जिसमें लोगों द्वरा पहाड़ी हारुल व रासे लगाकर नाटी का भरपूर आनंद लिया जाता है। इस बार शिलाई के नाया गांव में बूढ़ी दिवाली पर्व को,
हिमाचल प्रदेश की देवभूमि में बसे शुणकूटा बरादरी के करीब 92 गांव के शुणकूटा बंधुओं को एकत्रित करके मनाया गया, जिसमें उत्तराखंड से भी शुण कूटा बंधुओं ने भाग लिया, जिसमें शुण कूटा परिवार के करीब 1 हजार लोग इक्कठा हुए। यह त्योहार गिरिपार के नोहराधार क्षेत्र, हरिपुरधार, रोनहाट व शिलाई की दर्जनों पंचायतों में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया गया है। इस त्योहार में लोगों द्वरा एक ओर जंहा पारंपरिक व्यजन मुड़ा, शाकुली, तेल पाकी के भी खूब चटकारे लगाए गए।