आवाज़ ए हिमाचल
अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर। भारत की पहली महिला शिक्षिका और समाजसेवी सावित्रीबाई फुले की आज जयंती है। वह समाज सुधारक और महिलाओं के लिए काम करने के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने 19वीं शताब्दी में पुणे (महाराष्ट्र) के समाज में व्याप्त दमनकारी सामाजिक व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाई थी। उनका योगदान तर्कसंगतता और मानवीय कारणों जैसे सत्य, समानता और मानवता के इर्द-गिर्द घूमता है।
उनका जन्म 03 जनवरी, 1831 को महाराष्ट्र (नायगांव-सतारा) में हुआ था। वह अपने परिवार में सबसे छोटी थीं। उनके तीन भाई-बहन थे। वह माली समुदाय से थीं, जो आज अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के अंतर्गत आता है। सावित्रीबाई फुले जब महज नौ साल की थीं तभी उनका विवाह हो गया, वे पढ़-लिख नहीं सकती थीं। उनके पति ज्योतिराव फुले ने उन्हें घर पर शिक्षित करने की जिम्मेदारी ली। जिसके बाद में उन्होंने महाराष्ट्र, विशेष रूप से पुणे में व्याप्त असमानता, पितृसत्ता और सामाजिक उत्पीड़न से लड़ने के लिए काम किया।