आवाज़ ए हिमाचल
शिमला, 18 अप्रैल। हिमाचल प्रदेश में मंत्रियों, अधिकारियों और विभागाध्यक्षों के नाम से चल रहे फर्जी वाट्सएप अकाउंट लोगों को ठगी का शिकार बनाया जा रहा है। इस संबंध में प्रदेश पुलिस के साइबर सेल ने मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है।
साइबर सेल की प्रारंभिक जांच में पता चला है कि मुख्य सचिव व मुख्य न्यायाधीश की प्रोफाइल फोटो का भी वाट्सएप पर प्रयोग किया जा रहा है। इसमें नाइजीरिया और अफ्रीका के गिरोह शामिल हैं। अपराधी अपनी पहचान प्रदेश के महत्वपूर्ण लोगों के रूप में बताते हैं और लोगों से उनके फोन पर आने वाला ओटीपी पूछने के साथ खरीदारी के नाम पर ठगी का शिकार बना रहे हैं। इस तरह के वाट्सएप संदेश कुछ अधिकारियों को भी आए हैं।
पुलिस ने एडवाइजरी जारी की है कि अनजान नंबर से आने वाले संदेशों को नजरअंदाज करें और और पहचान की पुष्टि किए बिना किसी तरह की बातचीत न करें। इस संबंध में साइबर पुलिस सारे तथ्यों को खंगाल रही है कि कौन-कौन ठगी के शिकार हुए हैं।
अपराधी अकसर मेडिकल इमरजेंसी के नाम पर लोगों से पैसों की मांग करते हैं या फिर फोन पर आया ओटीपी बताने को कहते हैं। अगर किसी ने ओटीपी बता दिया तो वे बैंक खातों से पैसे ट्रांसफर कर देते हैं। अधिकतर साइबर अपराधी नाइजीरिया के निवासी हैं, जो दिल्ली आदि शहरों में रह रहे हैं। वे बिहार, बंगाल व उत्तर प्रदेश में पहले से एक्टिवेट सिमकार्ड दुकानदारों से खरीदते हैं। उसे मोबाइल फोन पर वाट्सएप पर रजिस्टर कर लेते हैं। उस सिम को आगामी प्रयोग के लिए ग्रामीण, मजदूरों या अनपढ़ लोगों को दिया जाता है। वे इस बात से अनभिज्ञ होते हैं कि इस सिम से वाट्सएप नंबर पहले ही रजिस्टर है। साइबर अपराधी वाट्सएप के रजिस्टर होने पर किसी भी राज्य के महत्वपूर्ण लोगों की फोटो को प्रोफाइल के तौर पर प्रयोग करते हैं। उसके पश्चात उनके मित्र, सहकर्मियों, रिश्तेदारों तथा परिचित व्यक्तियों को संदेश भेजकर ठगी करते हैैं।
इस मामले को लेकर प्रदेश पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू का कहना है कि मंत्रियों व अधिकारियों के प्रोफाइल फोटो लगे वाट्सएप नंबर से आने वाले संदेशों को नजरअंदाज करें। पहचान की पुष्टि किए बिना किसी तरह की बातचीत न करें। इस तरह के संदेश आने पर तुंरत पुलिस और साइबर सेल को जानकारी दें।