बरसात से आठ और लोगो की मौतें
आवाज़ ए हिमाचल
सांगला। भारी बरसात के तांडव की मार अब पर्यटन स्थल सांगला के ग्रामीणों को झेलनी पड़ी है। बुधवार दोपहर बाद किन्नर कैलाश की पहाडिय़ों से आया बाढ़ का भारी मलबा ग्रामीणों के खेतों से होते हुए सीधे सांगला पंचायत क्षेत्र के वार्ड नंबर दो व तीन में जा घुसा। बाढ़ का मलबा और पानी इतना अधिक था कि मलबा सांगला बाजार के एक छोर से होता हुआ ग्रामीणों के रिहायशी मकानों में जा घुसा। इसी तरह तीन ग्रामीणों की गौशाला सहित कुछ पशुओं के भी दबने की सूचना है। मलबा सांगला गांव में भी दो दर्जन के करीब रिहायशी घरों में जा घुसा और उन्हें क्षतिग्रस्त कर दिया। इस दौरान सांगला बाजार में खड़ी तीन छोटी गाडिय़ों सहित एक बाइक को भी नुकसान पहुंचा। कई ग्रामीणों के सेब के बागीचों सहित खेतों को भी भारी नुकसान हुआ है। बाढ़ का मलबा एसबीआई बैंक के साथ छोटे से नाले से होता हुआ गांव में घुसा। बताया जाता है कि बीते कई वर्षो से किन्नर कैलाश की पहाडिय़ों से सांगला की ओर आने वाला बाढ़ का पानी टोंगटोंगचे नाला से होकर बहता था, लेकिन इस बार बाढ़ ने अपना रुख गांव की ओर कर दिया। गनीमत रही कि बाढ़ रात के वक्त नहीं आई, अन्यथा बड़ी क्षति हो सकती थी। घटना के बाद से पूरे क्षेत्र में डर का माहौल बना हुआ है दर्जनों लोग अपने घरों को खाली कर सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं। स्थानीय प्रशासन द्वारा भी एहतियात के तौर पर जेसीबी मशीन को घटनास्थल पर पहुंचाकर बाढ़ के रुख को बदलने के प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि भविष्य में बाढ़ आती है, तो मलबा गांव की ओर न आ पाए। उधर, प्रदेश में अब तक की भारी बरसात नित नए रिकार्ड बना रही है। मानसून सीजन में अब तक 223 मिलीटर बारिश दर्ज की गई है और यह सामान्य से 182 मिलीमीटर ज्यादा है। कांगड़ा की परागपुर तहसील के घमरूर गांव में बारिश ने 96 साल का रिकार्ड तोड़ा है। यहां 1921 में 164.8 मिलीमीटर बारिश रिकार्ड की गई थी, जबकि इस वर्ष 166 मिलीमीटर बारिश दर्ज की जा चुकी है। 24 घंटों में प्रदेश में बारिश-बाढ़ से आठ लोगों की मौत की सूचना है। इनमें से पांच मौतें कुल्लू जिला में हुई हैं, जबकि एक- एक मौत शिमला, सोलन और सिरमौर जिला में हुई है। इन मौतों के साथ प्रदेश में मानसून सीजन के दौरान हुई दुर्घटनाओं में मौतों का आंकड़ा 88 पहुंच चुका है, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हुए है। वहीं 16 लोग लापता हैं।
हिमाचल में भारी बारिश के बाद अभी तक जनजीवन पटरी पर नहीं लौट पाया है। प्रदेशभर में तीन एनएच समेत 1189 सडक़ें अब भी बंद है। बिजली के 1900 के करीब ट्रांसफार्मर ठप हैं और कई क्षेत्रों में लोगों को चौथे दिन भी अंधेरे में रहना पड़ा। पेयजल की चार हजार से ज्यादा स्कीमें भी बंद पड़ी हैं। गुरुवार के लिए भी प्रदेश में यलो अलर्ट जारी किया गया है। उधर, बुधवार को मंडी से शिमला लौटते वक्त मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को खराब मौसम के कारण वापस कुल्लू आना पड़ा। वह देर शाम कुल्लू पहुंच गए।