आवाज़ ए हिमाचल
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट सरकारी अफसरों की कोर्ट में पेशी को लेकर गाइडलाइन तय करेगा। केंद्र सरकार ने हाल ही में सुझाव दिया था कि असाधारण मामलों में ही किसी अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कोर्ट बुलाया जाना चाहिए। सोमवार को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वह इस बात पर भी विचार करेंगे कि कोर्ट में पेश होने के दौरान किसी अधिकारी की ड्रेस कैसी होनी चाहिए। कोर्ट ने ये कमेंट इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए किया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निर्देश का पालन न करने पर उत्तर प्रदेश के दो आईएएस अधिकारी शाहिद मंजर अब्बास रिजवी और सरयू प्रसाद मिश्रा को हिरासत में लेने का निर्देश दिया था। 20 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए दोनों अधिकारियों को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया। इसके बाद केंद्र सरकार ने सरकारी अफसरों की पेशी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एसओपी दाखिल कर विचार के लिए कुछ सुझाव दिए थे। कोर्ट ने एसओपी को लेकर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि एसओपी के कुछ हिस्से ऐसे हैं, जिनमें सरकार हमें बता रही है कि रिव्यू कैसे किया जाना चाहिए। हम इस मुद्दे पर खुद गाइडलाइन तैयार कर सकते हैं। वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार की यह मंशा कभी नहीं रही। हम बस यह कहना चाहते हैं कि मुख्य सचिव जैसे बड़े अफसरों को तलब करने की जरूरत नहीं है। इससे दूसरे सब काम रुक जाते हैं। केंद्र सरकार ने कोर्ट में अफसरों की पेशी को लेकर सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिए थे।