आवाज़ ए हिमाचल
नगरोटा बगवां। जेसीबी चलाकर अपने सपनों को पूरा करने आज से करीब 11 साल पहले सउदी अरब गए नगरोटा बगवां के रौंखर के विजय को नहीं पता था कि वह रोटी के चक्कर में अपने घरवालों से मिलने तक से महरूम हो जाएगा। सउदी अरब की एक कंपनी में काम करने वाला 39 वर्षीय विजय आज परिवार से कोसों दूर बंधक की जिंदगी जीने को मजबूर है, जबकि घर पर बूढ़ी मां और बाप अपने लाल की एक झलक पाने को तरस रहे हैं।
गत शुक्रवार को परिजन स्थानीय विधायक अरुण मेहरा से भी मिले। वहीं, जिला उपायुक्त निपुण जिंदल ने शुक्रवार को प्रधान सचिव गृह विभाग हिमाचल सरकार को पत्र प्रेषित कर भारत सरकार के सक्षम विभाग से हस्तक्षेप कर उचित व त्वरित करवाई करने की अपील की है।
विजय कुमार ने अपने वीडियो संदेश में अपनी हालत बयां करते हुए प्रदेश सरकार से रिहाई की मांग की है। विजय कुमार की मां गटां देवी ने बताया कि वे प्रधानमंत्री कार्यालय, अनुराग ठाकुर व मुख्यमंत्री सहित हर अधिकारी से अपना दुखड़ा सुना चुके हैं, लेकिन पिछले पांच वर्षों से कोई करवाई नहीं हुई। उन्होंने उपायुक्त से लेकर गृह सचिव व विदेश मंत्रालय तक हुए पत्राचार की प्रतियां भी दिखाई, लेकिन 2017 से भारत सरकार के समक्ष पहुंचे मामले में कोई भी सकारात्मक करवाई आज तक नहीं हो पाई है।
बेटे के इंतजार में बैठी मां ने रुंधे हुए गले से बताया कि सरकार मेरे बेटे को लौटाने का प्रयास करे नहीं तो मैं फांसी लगाकर अपनी जान दे दूंगी। हालांकि अब आए दिन विजय कुमार अपने भाई अजय, पिता रामचंद तथा मां से फोन पर बात करता है, जिसमें वह अपनी वतन वापसी के लिए प्रयास करने की गुहार लगाता रहता है।
जानकारी के अनुसार विजय कुमार को 2013 में हुई एक दुर्घटना का दोषी मानकर कर कंपनी ने उसके देश छोड़ कर जाने पर पाबंदी लगा दी है तथा वह आज तक घर नहीं आ सका। सूत्रों के अनुसार उक्त दुर्घटना के एवज में मुआवजे के तौर पर मांगी जा रही 30 लाख की रकम भी पीडि़त युवक और परिवार के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई है।