श्रीमद भागवत कथा के छठे दिन अचार्य रमाकांत ने अपनी समुद्र वाणी से की अमृत वर्षा

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भगवान श्री कृष्ण जी व रुक्मणी के मंगल विवाह का किया बखान

आवाज़ ए हिमाचल 

शांति गौतम, बीबीएन। उपमंडल के राजपुरा स्थित प्राचीन श्री राधा कृष्ण ब्रह्मचारी मंदिर में शुरू हुई भागवत कथा सोमवार को छठे दिन में प्रवेश हुई, जिसमें मंदिर के अचार्य रमाकांत शास्त्री ने श्री कृष्ण की महिमा का गुणगान कर उपस्थित श्रद्धालुओं को सराभोर किया।

कथा के छठे दिन अचार्य रमाकांत शास्त्री ने अपनी समुद्र वाणी से अमृत वर्षा करते हुए भगवान कृष्ण जी व रुक्मणी के मंगल विवाह का बखान किया। उन्होंने बताया कि भागवत कथा में कैसे राक्षसों का उद्धार एवं प्रभु प्रेमियों को मार्गदर्शन दिया कि उन्हें भी अपने भीतर के राक्षस का दहन करना चाहिए और भगवान श्री कृष्ण जी के मार्ग पर चलने का आह्वान किया। इसके उपरांत उन्होंने गोपियों के प्रति प्रेम एवं उनसे उनका बिछड़ना के बारे में बताया तदोपरांत भगवान श्री कृष्ण जी ने किस तरह माता रुक्मणी का मान रखा और उनके साथ विवाह किया।

आचार्य रमाकांत शास्त्री ने श्रद्धालुओं को प्रेरित किया की उन्हें भी गोपी प्रेम अपने भीतर जगाने की आवश्यकता है जिस प्रकार भगवान कृष्ण गोपियों के सहाय बने उसी तरह हमारे भीतर प्रेम को देखकर भगवान कृष्ण हमारे भी सहाय बनेंगे और इस भवसागर से हमें पार लगाएंगे। कृष्ण रुकमणी विवाह के साथ कथा संपन्न हुई और इस दौरान झांकी भी निकाली गई।
इस दौरान आचार्य रमाकांत शास्त्री जी के साथ पंडित केशव कुमार, गोपाल शर्मा, प्रेमचंद शर्मा, नितिन शर्मा, यशपाल शर्मा, मनजीत शर्मा, बालक राम उपस्थित रहे। कथा के उपरांत विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें समस्त लोगों ने भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया।

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