शिमला : लवी मेले से जीवित है ग्रामीण पारंपरिक हथकरघा व्यवसाय

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आवाज़-ए-हिमाचल 

7 नवम्बर : हिमाचल प्रदेश का अंतराष्ट्रीय लवी मेला ग्रामीण अंचलों में बसने वाले पारंपरिक हथकरघा व्यवसायियों के कारण जीवित है। उत्तर भारत का यह प्रमुख व्यापारिक मेला ग्रामीण दस्तकारों के रोजगार और आर्थिक मजबूती का केंद्र बना है।

अंतरर्राष्ट्रीय लवी मेला का योगदान हथकरघा व्यवसाय को जीवित रखने में बहुत महत्वपूर्ण है। लवी मेले के कारण ग्रामीण दस्तकारों की साल भर की रोजी चलती रही है। ग्रामीण दूर दराज क्षेत्र के बुनकरों का अंतर्राष्ट्रीय लवी मेला आर्थिक और रोजगार का प्रमुख साधन बना हैं।

मेले के दौरान हस्तनिर्मित वस्त्रों, शॉल, पट्टू, पट्टी, टोपी, मफलर, खारचे आदि की मांग बढ़ जाती है। हर ग्रामीण दस्तकार की कोशिश रहती है कि 11 नवंबर से शुरू होने वाले अंतर्राष्ट्रीय लवी मेले में अधिक सामान एवं वस्त्र तैयार कर ले जाएं।

ताकि वह मेले में अच्छा पैसा कमाया जा सके। ऐसे में ग्रामीण दस्तकारी को बढ़ावा देने में अंतर्राष्ट्रीय लवी मेला ग्रामीण परंपरागत उत्पादों के लिए ग्राहक उपलब्ध करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

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