आवाज़ ए हिमाचल
नई दिल्ली। दिल्ली के एक फैमिली कोर्ट ने बुधवार 4 अक्टूबर को क्रिकेटर शिखर धवन को आयशा मुखर्जी से तलाक की मंजूरी दे दी। कोर्ट ने माना कि आयशा ने शिखर के साथ मानसिक क्रूरता की। कोर्ट ने तलाक याचिका में धवन के आरोपों को इस आधार पर मंजूरी दी कि आयशा ने या तो इनका विरोध नहीं किया या फिर वे खुद का बचाव करने में विफल रहीं। धवन उम्र में आयशा से दस साल छोटे हैं।जज हरीश कुमार ने माना कि आयशा ने धवन को बेटे से एक साल तक दूर रखकर उन्हें मानसिक यातना झेलने को मजबूर किया। हालांकि, कोर्ट ने बेटे की स्थायी कस्टडी पर फैसला नहीं दिया। धवन, भारत और ऑस्ट्रेलिया में बेटे के साथ जरूरी वक्त बिता सकते हैं। उससे वीडियो कॉल पर बात कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा, याचिकाकर्ता फेमस इंटरनेशनल खिलाड़ी और देश के लिए गौरव हैं। अगर वो भारत सरकार से मदद मांगें तो ऑस्ट्रेलिया सरकार से बेटे की कस्टडी या मुलाकात के अधिकार पर मदद की कोशिश की जानी चाहिए। धवन की याचिका के मुताबिक, आयशा ने पहले उनके साथ भारत आकर रहने की बात कही थी। हालांकि, बाद में वो अपने पूर्व पति से कमिटमेंट के चलते अपनी बात से पीछे हट गईं। पहली शादी से आयशा की दो बेटियां हैं। उन्होंने पूर्व पति से वादा किया था कि वे बेटियों को लेकर ऑस्ट्रेलिया में ही रहेंगी। कोर्ट ने इसे भी धवन का मानसिक उत्पीड़न माना। आयशा पर धवन के खिलाफ भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के सदस्यों और साथी खिलाड़ियों को अपमानजनक मैसेज भेजने का आरोप भी सही पाया। हालांकि, आयशा ने दावा किया था कि उन्होंने महज तीन लोगों को ऐसे मैसेज भेजे थे, लेकिन कोर्ट ने इसे मानने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने शिखर धवन के इस आरोप को भी सच पाया कि कोविड के दौरान जब वो पिता के साथ रहना चाहते थे तो आयशा ने काफी झगड़ा किया था।
आयशा के खिलाफ यह भी आरोप सच पाया गया कि वो जब बेटे को लेकर भारत रहने आईं तो धवन को मजबूर किया कि उनकी दो बेटियों को महीने का खर्च भेजें। यहां तक कि उनके स्कूल की फीस भी धवन को ही चुकानी पड़ी। ऐसे में काफी समय तक धवन ने करीब 10 लाख रुपए हर महीने उन्हें भेजे। कोर्ट ने यह भी पाया कि आयशा ने जबरन दबाव बनाकर ऑस्ट्रेलिया में धवन की तीन संपत्तियों में 99% मालिकाना हक हासिल कर लिया। साथ ही दो अन्य संपत्तियों में भी जॉइंट ओनर बन गईं।