शिक्षक राकेश कटोच के एक शब्द ने बदल दी मंझग्रा के हितेश की जिंदगी,क्वालीफाई किया एफकैट

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भारतीय वायुसेना में ग्राउंड ड्यूटी (तकनीकी और गैर-तकनीकी) में क्लास-I राजपत्रित अधिकारी

* न्यू ईरा स्कूल ऑफ साइंसेस छतड़ी में ली है बारहवीं तक की शिक्षा 

* केंद्रीय विश्वविद्यालय बीएससी फिजिक्स ऑनर्स में लिया है गोल्ड मेडल

आवाज ए हिमाचल

28 दिसंबर।मां के बाद शिक्षक ही बच्चे की जिंदगी संवारते हैं। वे बच्चे में आत्मविश्वास भरते हैं और उसे सफलता की राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। कई बार शिक्षकों की बातें जिंदगी का रुख भी बदल देती हैं।शिक्षक राकेश कटोच द्वारा कहा एक वाक्या शाहपुर के मंझग्रा निवासी हितेश मन्हास के दिलो दिमाग में इस कद्र धर गया कि उन्होंने एयर फोर्स कॉमन एडमिशन टेस्ट(एफकैट) क्वालीफाई कर लिया।हितेश मन्हास एक आम परिवार से संबंध रखते है तथा उनके द्वारा पहले ही प्रयास में भारतीय वायु सेना के एयर फोर्स कॉमन एडमिशन टेस्ट को क्वालीफाई करना पूरे शाहपुर के लिए गौरवांवित करने वाला पल है।बेटे की उपलब्धि से उनके परिवार, मंझग्रा गांव व न्यू ईरा स्कूल ऑफ साइंसेज छतड़ी में खुशी की लहर है।हितेश एफकैट क्वालीफाई करने के बाद भारतीय वायुसेना में ग्राउंड ड्यूटी (तकनीकी और गैर-तकनीकी) में क्लास-I राजपत्रित अधिकारी के रूप पदभार संभालेंगे।हितेश शनिवार को घर से ट्रेनिंग के लिए रवाना हो गए है।हितेश ने अपनी बारहवीं तक की पढ़ाई न्यू ईरा स्कूल ऑफ साइंसेज छतड़ी से की,जबकि उन्होंने अपना आगामी पढ़ाई हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय से की है।अहम बात यह है कि उन्होंने बीएससी फिजिक्स ऑनर्स में गोल्ड मेडल लिया हैं।हितेश के पिता बाली राम ट्रक चलाते है,जबकि माता कुसुम गृहणी है।हितेश की दो बड़ी बहनें भी है।हितेश की माने तो इससे पहले वे चार बार एनडीए व एक बार सीडीएसईकी परीक्षा दे चुके है तथा एनडीए की दो बार व सीडीएसई की एक बार लिखित परीक्षा क्वालीफाई कर चुके है,लेकिन एसएसबी साक्षात्कार में रह गए।वे कमीशन पद के लिए भी ग्राउंड परीक्षा पास कर चुके है,लेकिन सफलता नहीं मिली।हितेश मन्हास ने
एयर फोर्स कॉमन एडमिशन टेस्ट 1 2024 में दिया था तथा इसे पहले ही प्रयास में उत्तीर्ण भी कर लिया।हितेश ने अपनी कामयाबी का श्रेय अपने माता पिता,स्वर्गीय दादा दादी,चाचा चाची, न्यू ईरा स्कूल ऑफ साइंसेज के अध्यापकों व केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों को दिया है।हितेश की माने तो आज अगर वे इस मुकाम पर है तो उसके पीछे उनके शिक्षक राकेश कटोच का अहम किरदार रहा है।
वे साधारण परिवार से आते है, ऐसे में वे भारती सेना के अधिकारियों बारे कोई जानकारी नहीं थी।उन्होंने बताया कि जब वे 9वीं कक्षा के छात्र थे तो एक बार यू ईरा स्कूल ऑफ साइंसेज छतड़ी के गेट में एंट्री कर रहा था,उस समय उनके शिक्षक राकेश कटोच ने उनमें कुछ देखा और उन्हें कहा कि वे एनडीए की तैयारी करो।टीचर राकेश कटोच के इन्हीं शब्दों ने उसी दिन से उनमें एनर्जी भर दी जिस कारण आज वे यह परीक्षा क्वालीफाई कर सके।उन्होंने कहा कि यह कोई एक दिन की उपलब्धि नहीं है,यहां तक पहुंचने के लिए उन्हें पांच साल लग गए।उन्होंने कहा कि हार्ड वर्क का कोई विकल्प नहीं होता।कभी भी हार नहीं माननी चाहिए तथा अपने प्रयासों में लगे रहना चाहिए।खुद पर विश्वास रखना चाहिए कि हम कर सकते हैं।अपने परिवार को महत्व देना चाहिए।हितेश का कहना है कि जब आप प्रयास करते है तो हर दिन एक जैसा नहीं होता तमाम कठिनाइयों को दरकिनार कर अपने लक्ष्य की तरफ फ़ोकस करे तथा उसने बाद इसका रिजल्ट देखे।

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