शाहपुर: ऊन के उचित दाम न मिलने पर भेड़ पलकों में रोष की लहर, सरकार पर अनदेखी का आरोप

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भेड़ पालकों ने पहाड़ी इलाकों से मैदानी क्षेत्रों का किया रुख

आवाज़ ए हिमाचल 

बबलू सूर्यवंशी, शाहपुर। सर्दी का सीजन शुरू होते ही जिला चंबा और कांगड़ा के भेड़ पालकों ने पहाड़ी इलाकों से मैदानी क्षेत्रों की तरफ रुख करना शुरु कर दिया है। इसी के साथ भेड़ की ऊन उतारने का काम भी शुरू हो चुका है। हिमाचल प्रदेश बूल फेडरेशन पालमपुर की टीम इन दिनों विधानसभा क्षेत्र शाहपुर की वोह घाटी में पहुंच चुकी है और भेड़ों की ऊन उतारने में जुट गई है। इस समय जिला कांगड़ा के भेड़ पालक मैदानी इलाके में पहुंचने शुरू हो चुके हैं।

हिमाचल प्रदेश बूल फेडरेशन पालमपुर के सदस्य पुन्नू राम निवासी होली, जिला चंबा और जुमन सिंह निवासी भरमौर, जिला चंबा ने बताया कि  उनकी टीम में लगभग 20 सदस्य हैं और 27 अक्टूबर से भरमौर से भेड़ों की ऊन उतारने का काम शुरू कर चुकी हैं। उनकी टीम पूरे हिमाचल प्रदेश में विभिन्न जिलों में जाकर भेड़ों की ऊन उतारती है। सरकार की तरफ से 11 रुपए प्रति भेड़ ऊन उतारने के पैसे लिए जाते हैं। वह करीब 2 मिनट में एक भेड़ की ऊन उतार देते हैं। इन दिनों शाहपुर की बोह घाटी में भेड़ों की ऊन उतारने का काम कर रहे हैं।

इसको लेकर वोह निवासी भेड़ पालक राजकुमार, विधि चंद, जिगरी राम और राजीव कुमार आदि ने बताया कि उनके पास देसी नस्ल की भेड़ें हैं। इनकी साल में तीन बार ऊन उतारी जाती है। ऊन उतारने से पहले भेड़ों को अच्छे तरीके से नहलाया जाता है उसके बाद मशीन की मदद से भेड़ों की ऊन उतारी जाती हैं, लेकिन ऊन के उचित दाम न मिलने पर भेड़ पलकों में रोष की लहर है।

उन्होंने सरकार से नाराजगी जाहिर करते हुए बताया कि भेड़ पालकों को ऊन के उचित दाम नहीं मिलते हैं। सरकार की तरफ से 60 से 70 प्रति किलो ऊन खरीदी जाती है। इसके पैसे भी समय पर नहीं मिलते, जबकि निजी व्यापारी 50 से 60 रुपए प्रति किलो के हिसाब से ऊन लेते हैं। उन्होंने कहा कि भेड़ बकरियों से ही उनके परिवार का पालन-पोषण चलता है, लेकिन ऊन के सही दाम न मिलने के कारण वे हमेशा से निराश होते आए हैं। उन्होंने प्रदेश सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया है।

इस समय जिला चंबा और कांगड़ा के सैंकड़ों गद्दी मैदानी इलाके की तरफ आ रहे हैं। वह गर्मी में पांच महीने जिला चंबा और कांगड़ा की पहाड़ियों में चले जाते हैं।

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