आवाज ए हिमाचल
19 अप्रैल। विदेशों से हिमाचल प्रदेश की गैर सरकारी संस्थाओं को करोड़ों रुपये मिल रहे हैं। शिक्षा, सामाजिक कार्यों आदि के नाम पर अमेरिका, कनाडा, यूके, बुल्गारिया समेत कई देशों से इन संस्थाओं को सालाना करोड़ों रुपये आ रहे हैं। यह पैसा कहां खर्च हो रहा है, इस पर देश और प्रदेश की खुफिया एजेंसियों की भी पैनी नजर है। कई संस्थाएं ऐसी भी हैं, जो भारत सरकार के गृह मंत्रालय को विदेशों से आए फंड की त्रैमासिक जानकारी नहीं दे रही हैं। ये संस्थाएं तिब्बती और बौद्ध संस्थाओं के अलग हैं। हालांकि, सबसे ज्यादा फंड तिब्बती और बौद्ध संस्थाओं को आता है। हिमाचल में परोपकार के नाम पर कई संस्थाएं चल रही हैं। इनमें कई संस्थाएं बेशक यह कहें कि वे स्थानीय स्तर पर किसी से कोई फंड नहीं लेती हैं, पर इन्हें विदेशों से खूब आर्थिक मदद आ रही है। इनमें कई संस्थाएं सचमुच में बेहतर काम भी कर रही हैं। विदेशों से आए फंड को पारदर्शितापूर्ण तरीके से इस्तेमाल करने की जानकारी गृह मंत्रालय को दे रही हैं।
बहुत सी संस्थाएं ऐसी भी हैं, जो विदेशी फंड प्राप्त करने के लिए एफसीआरए कानून के तहत पंजीकृत जरूर हैं, पर उनका कहना है कि कोरोना काल में उन्हें कोई आर्थिक मदद नहीं मिली है। कई संस्थाओं ने इस संबंध में गृह मंत्रालय के पास जमा सूचना में शून्य आर्थिक सहायता मिलने का उल्लेख किया है तो कई संस्थाएं समय पर त्रैमासिक जानकारी जमा नहीं कर रही हैं। एक अधिकारी के अनुसार ऐसी तमाम संस्थाओं पर भारत सरकार के गृह मंत्रालय की नहीं, बल्कि खुफिया एजेंसियों की पैनी नजर है। शांति निकेतन चिल्ड्रन होम सेंटर सोलन को शैक्षणिक गतिविधियों के लिए कनाडा की चाइल्ड ऑफ माइन सोसाइटी से एक करोड़ 20 लाख रुपये की आर्थिक मदद आई।
सोसाइटी फॉर सोसाइटी अपलिफ्ट थ्रू रूरल एक्शन गंभल सोलन को अमेरिका के वाशिंगटन से सामाजिक गतिविधियों के लिए 7 लाख 24 हजार 169 रुपये की विदेशी आर्थिक मदद आई। सिरमौर जिला के रूरल सेंटर फॉर ह्युमैनइंटरेस्ट्स को बुल्गारिया से सामाजिक गतिविधियों के लिए एक लाख 15 हजार 916 रुपये की विदेशी सहायता आई। कुल्लू के हिमालयन फ्रेंड्स ट्रस्ट को शैक्षणिक गतिविधियों से स्विट्जरलैंड और यूके एक लाख 52 हजार रुपये की विदेशी मदद आई।