आवाज ए हिमाचल
04 फरवरी। वाहनों के फर्जीवाड़े मामले की जांच के लिए विजिलेंस की टीम पंजाब पहुंची है। टीम की अगुवाई डीएसपी रैंक के एक अधिकारी कर रहे हैं। टीम अपने साथ जांलधर निवासी मुख्य आरोपित रणजीत सिंह कंग को भी ले गई है। उसकी शिनाख्त पर एक वाहन भी बरामद किया जाना है। इसके अलावा हिमाचल के वाहन मालिकों के आधार काड के साथ किए गए फर्जीवाड़े की भी जांच होगी। प्रदेश के वाहनों को किसकी मिलीभगत से पंजाब में रजिस्टर्ड करवाया, कर्मचारियों की क्या भूमिका रही, इसका भी पता लगाया जा रहा है।
कहां से हुई थी गिरफ्तारी
विजिलेंस ब्यूरो की टीम ने वाहनों के फर्जीवाड़े से जुड़े अंतरराज्यीय गिरोह के सरगना को जालंधर से गिरफ्तार किया था। विजिलेंस को इसकी वर्ष 2019 से तलाश थी। यह तीन अलग-अलग केसों में वांछित रहा। गिरोह सोलन और सिरमौर के वाहन मालिकों को ठगने का काम करता था। इन्हें इनके वाहन ऊंचे दामों पर कंपनियों को किराए पर देने का झांसा देता था। जैसे ही वाहन हिमाचल की सीमा से दूसरे राज्य में प्रवेश करता था इसे आगे भेज दिया जाता था। पांच लाख का वाहन ढाई से तीन लाख में बेच दिया जाता था। यह गैरकानूनी धंधा कई महीनों से चला हुआ था। इसकी वर्ष 2019 में सोलन पुलिस से शिकायत की गई लेकिन पुलिस ने इसको गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद ठगी के शिकार हुए लोग मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचे।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर इस मामले की विजिलेंस जांच के आदेश दे दिए गए थे विजिलेंस की प्रारंभिक जांच के बाद दो एफआइआर शिमला और एक एफआइआर सोलन में दर्ज की गई थी। अंतरराज्यीय गिरोह के कई सदस्यों को पंजाब और हरियाणा से गिरफ्तार किया गया था। इनके कब्जे से 11 वाहनों को रिकवर किया गया था। इसके बाद कंग के कब्जे से भी कई वाहन बरामद हो गए हैं। विजिलेंस जांच से पता चला है कि हिमाचल के वाहनों को पटियाला, हरियाणा के शाहबाद, अमृतसर होशियारपुर के टांडा और जालंधर में बेचा गया। इन वाहनों के फर्जी दस्तावेज भी तैयार की जाते थे। इसमें पटियाला का सुखवीर नामक आरोपित मदद करता था। हरदीप बराड़ और सुखबीर को शुरू में ही गिरफ्तार कर दिया गया था।