बिलासपुर के आईपीएच विश्राम गृह के हॉल में शिविर आयोजित
आवाज़ ए हिमाचल
अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर। हम सभी ने अपने जीवन में ध्यान की अवस्था को महसूस किया है, जिन क्षणों में हम बेहद खुश हुए हैं, या फिर जिन क्षणों में हम किसी काम में तल्लीनता से डूबे हुए हैं, ऐसे क्षणों में हमारा मन हल्का और आरामदेह प्रतीत होता है। हालांकि हम सबने ऐसे क्षणों को अनुभव किया है, लेकिन हम उन्हें अपनी मर्ज़ी से दोबारा अनुभव नहीं कर पाते हैं। सहज समाधि कार्यकम् आपको यही करना सिखाता है।
यह बात आर्ट ऑफ लिविंग की वरिष्ठ पर प्रशिक्षिका सीमा शर्मा ने बिलासपुर में आयोजित सहज समाधि ध्यान शिविर के समापन पर प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने बताया कि आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर जी द्वारा ध्यान करने की यह अनूठी प्रक्रिया का निर्माण किया गया है, जिसके अभ्यास से आप तुरंत ही तनाव और परेशानियों से ऊपर उठकर, मन में असीम शांति अनुभव करते हैं और शरीर में स्फूर्ति आती है।
उन्होंने बताया कि ‘सहज’ एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है ‘प्राकृतिक’ या ‘ जो बिना किसी प्रयास के किया जाए’। ‘समाधि’ – एक गहरी, आनंदमयी और ध्यानस्थ अवस्था है। अतः ‘सहज समाधि’ वह सरल प्रक्रिया है जिसके माध्यम से हम आसानी से ध्यान कर सकते हैं। ध्यान करने से सक्रिय मन शांत होता है, और स्वयं में स्थिरता आती है। जब मन स्थिर होता है, तब उसके सभी तनाव छूट जाते हैं, जिससे हम स्वस्थ और केन्द्रित महसूस करते हैं। शिविर के आयोजन की जानकारी देते हुए जिला बिलासपुर मीडिया समन्वयक अरुण डोगरा रीतू ने बताया कि इस शिविर में 20 साधकों ने भाग लिया तथा इसका आयोजन आईपीएच रेस्ट हाउस के हॉल में किया गया इस शिविर में आर्ट ऑफ लिविंग की जिला कोऑर्डिनेटर तथा प्रशिक्षिका रचना मेहता के अलावा युवा प्रशिक्षक सैंसी शर्मा और प्रियंका शर्मा ने भी सहयोग दिया।