वाराणसी सीरियल ब्लास्ट्स के दोषी वलीउल्लाह को फांसी की सजा 

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जघन्य हत्याकांड पर 16 साल बाद आया फैसला

आवाज़ ए हिमाचल

गाजियाबाद, 7 जून। वाराणसी में 2006 में हुए सीरियल बम धमाकों के दोषी वलीउल्लाह को गाजियाबाद की अदालत ने फांसी की सजा सुना दी है। जिला न्यायाधीश जितेंद्र कुमार सिन्हा की अदालत ने कहा कि दोषी को तब तक फांसी के फंदे पर लटकाया जाए, जब तक उसकी मौत न हो जाए। धमाकों के करीब 16 साल बाद यह फैसला आया है।

धमाके संकट मोचन मंदिर, दशाश्वमेघ घाट और कैंट रेलवे स्टेशन पर एक के बाद एक हुए थे। धमाकों में 18 लोगों की मौत हुई थी। जिला शासकीय अधिवक्ता क्रिमिनल राजेश चंद्र शर्मा ने बताया कि संकट मोचन मंदिर वाराणसी पर हुए बम धमाके में सात लोग मारे गए थे और 26 लोग घायल हुए थे। इस मामले में 47 गवाह पेश किए गए। कोर्ट ने दोषी वलीउल्लाह को इस मामले में फांसी की सजा सुनाई है। दूसरा मुकदमा दशाश्वमेघ घाट पर बम धमाके से जुड़ा था।

विस्फोटक अधिनियम की धारा 3, 4 और 5 में वलीउल्लाह को 10-10 साल कैद की सजा सुनाई है। जबकि यूएपीए में उसे उम्रकैद हुई है। गौर हो कि चार जून को गाजियाबाद के जिला न्यायाधीश जितेंद्र कुमार सिन्हा की अदालत ने वलीउल्लाह को दशाश्वमेध घाट और संकट मोचन मंदिर पर बम धमाका करने, हत्या, हत्या का प्रयास, कानून के खिलाफ काम करने, दहशत फैलाने और विस्फोटक पदार्थ का प्रयोग करने में दोषी करार दिया था, जबकि कैंट रेलवे स्टेशन पर हुए बम धमाके में साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने उसे बरी कर दिया था।

 

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