वाटर सेस के लिए 125 बिजली प्रोजेक्ट रजिस्टर्ड, फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचीं 28 कंपनियां

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आवाज़ ए हिमाचल

शिमला। बिजली उत्पादन के लिए प्रयोग होने वाले पानी पर हिमाचल सरकार द्वारा लगाए गए वाटर सेस को लेकर कुल 172 बिजली परियोजनाओं में से 125 ने खुद को रजिस्टर करवा दिया है। हालांकि चिंता की बात यह है कि अब तक 28 के आसपास बिजली कंपनियां इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट गई हैं। हाई कोर्ट में स्थिति यह है कि हिमाचल सरकार अपना पक्ष रख रही है, जबकि भारत सरकार सेस के विरोध में हिमाचल सरकार के खिलाफ स्टैंड लिए हुए है। इससे आशंका यह है कि यह लड़ाई लंबी चल सकती है। इससे पहले राज्य सरकार ने पिछली कैबिनेट में ऊर्जा सचिव की अध्यक्षता में बिजली कंपनियों की बात सुनने के लिए एक कमेटी बना ली थी। जलशक्ति विभाग, वित्त विभाग और विधि विभाग के प्रतिनिधि इस कमेटी में सदस्य होंगे। यह कमेटी 15 दिन के भीतर राज्य सरकार को रिपोर्ट देगी और यह भी बताएगी कि इस वाटर सेस में कितनी रेशनलाइजेशन की जा सकती है? हालांकि अभी तक इस कमेटी की बैठक नहीं हो पाई है।

इसकी वजह यह है कि कमेटी के गठन और टम्र्स ऑफ रेफेरेंसिस की अधिसूचना भी जारी नहीं हुई थी। यह कमेटी प्रभावित बिजली परियोजनाओं से बात करेगी और उनका पक्ष सुनेगी। संभावना यह है कि राज्य सरकार वाटर सेस के लिए खुद को रजिस्टर करवा चुके बिजली प्रोजेक्टों को राहत दे सकती है। बिजली प्रोजेक्ट पहले से आरोप लगा रहे हैं कि हिमाचल सरकार ने जो वाटर सेस लगाया है, वह उत्तराखंड से पांच गुना और जम्मू कश्मीर से दोगुना ज्यादा है। हिमाचल में ही काम कर रही सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड ने राज्य सरकार को सूचना दी है कि भारत सरकार के कहने पर ही अभी वह खुद को रजिस्टर नहीं करवा रहे हैं। एनएचपीसी और एनटीपीसी जैसी कंपनियों ने इससे पहले खुद को पंजीकृत करवा लिया था।

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