आवाज़ ए हिमचाल
शिमला। प्रदेश सरकार वनों को बचाने के लिए ठोस नीति लाएगी। इसके साथ ही पाइन नीडल उद्योग लगाने के इच्छुक लोगों को 50 फीसदी की सबसिडी भी दी जाएगी। वनों में आग की मुख्य वजह चीड़ की पत्तियों का इस्तेमाल उद्योगों में अलग-अलग उत्पादों के निर्माण के लिए किया जाएगा। प्रदेश में उद्योग लगने से चीड़ के वनों में आग की संभावनाओं को खत्म करने के साथ ही स्वरोजगार की तरफ भी राज्य सरकार कदम बढ़ाने जा रही है। यह बात मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कही है। वह बजट सत्र के दौरान विधायक इंद्र दत्त लखनपाल के वन संपदा को आग, बाढ़ और भूस्खलन से बचाने बारे रखे गए प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि वनों को बचाने पर सरकार आगामी दिनों में ठोस और रणनीतिक कदम उठाएगी। इससे पूर्व विधायक इंद्र दत्त लखनपाल ने कहा कि वनों में हर साल करोड़ों रुपए खर्च कर पौधे रोपे जाते हैं, लेकिन उन्हें सुरक्षित नहीं रखा जा पा रहा है। प्रदेश में फोरेस्ट गार्ड कम हैं। पूर्व में वन राखे और फायर वॉचर रखे जाते थे। अब इन पदों को खत्म कर दिया गया है। लगातार वनों के घटने का असर जलस्रोतों पर भी नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि वनों की सुरक्षा के लिए ठोस नीति बनाने की जरूरत है। विधायक अजय सोलंकी ने कहा कि फायर वाचर और राखे रखे जाएं। भू-स्खलन को रोकने के लिए कदम उठाए जाने चाहिएं। वहीं विधायक केवल पठानिया, चैतन्य शर्मा, हरीश जनार्था और नीजर नैय्यर ने भी इस विषय पर अपने विचार रखे।
वन विभाग में अधिकारी ज्यादा, फील्ड स्टाफ कम
विधायक रवि ठाकुर ने वन विभाग में अधिकारियों की संख्या ज्यादा होने का मामला उठाया है। फील्ड में स्टाफ कम है, जबकि कार्यालयों में अधिकारी ज्यादा है। सरकार को देखना चाहिए कि इतने अधिकारियों की जरूरत है या नहीं।
फोरेस्ट क्लीयरेंस में तेजी लाने की जरूरत
विधायक विनोद सुल्तानपुरी ने कहा कि फोरेस्ट क्लीयरेंस के मामलों में तेजी लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नेशनल हाई-वे सही ढंग से नहीं बन पाया है। बरसात में भू-स्खलन होता है और इसका असर पर्यटन कारोबार पर पड़ता है।