लोकतंत्र प्रहरी सम्मान बंद, ध्वनि मत से पिछली सरकार का विधेयक खारिज

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आवाज हिमाचल

शिमला। लोकतंत्र प्रहरी सम्मान विधेयक को हिमाचल सरकार ने खारिज कर दिया है। अब प्रदेश में लोकतंत्र प्रहरी योजना में पंजीकृत करीब 80 लोगों को पेंशन नहीं मिलेगी। ध्वनिमत से इस विधेयक को निरसन (हटाने) के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया गया। इस विधेयक को हटाने को लेकर सदन में सोमवार को खूब हंगामा हुआ।

विपक्ष ने नाराजगी जाहिर करते हुए सदन से वाकआउट भी किया। इस विधेयक के संबंध में जबाव देते हुए संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि राज्य सरकार इस स्थिति में नहीं है कि लोकतंत्र प्रहरियों को पेंशन दे सके। इस पेंशन पर हर साल तीन करोड़ 47 लाख रुपए हर साल खर्च होने हैं। उन्होंने कहा कि बिल पर भाजपा विधायकों ने चर्चा कम और राजनीति ज्यादा की है।

लोकतंत्र को खतरे में देखते हुए मीसा के चार्ज लगाकर जेल में रखा गया। 1975 के बाद शांता कुमार दो बार मुख्यमंत्री रहे, लेकिन उन्हें प्रहरी नजर नहीं आए। इसके बाद भाजपा की सरकार बनती रही, लेकिन प्रहरी की याद नहीं आई। 15 दिन से अधिक जेल में रहने वालों को 11 हजार रुपए देने का फैसला लिया गया।

बाद में संशोधन करते हुए एक दिन से 15 दिन तक जेल में रहने वालों को आठ हजार और 15 से अधिक दिन जेल काटने वालों को 12 हजार की राशि देने का फैसला किया गया। हिमाचल के बाहर के लोगों को भी जोड़ा गया। सीआरपीसी के तहत दर्ज मामले वालों को भी इसमें शामिल किया गया। 8000 की राशि को बढ़ाकर 12 हजार किया गया और 12 हजार की राशि को 20 हजार कर दिया गया।

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