चंडीगढ़ से आए विख्यात साहित्यकार रतन चंद रत्नेश रहे मुख्यअतिथि
आवाज़ ए हिमाचल
अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर। बिलासपुर में रविवार को बिलासपुर के साहित्यकार प्रदीप गुप्ता की लघु कथाओं की किताब का विमोचन चंडीगढ़ से आए साहित्यकार रतन चंद रत्नेश ने किया। यह आयोजन कहलूर साहित्यिक एवं सांस्कृतिक परिषद द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रदेश के विभिन्न भागों से हिमाचल आए साहित्यकारों ने लघु कथाओं का वाचन भी किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मंडी से पधारे लेखक और साहित्यकार कृष्णचंद्र महादेविया ने की जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में सोलन से पधारे रोशन जायसवाल विक्षिप्त रहे। कार्यक्रम की शुरुआत में रितेश गुप्ता ने अपनी मधुर आवाज में मीरा का भजन सुनाया। उसके उपरांत कुलदीप चंदेल ने पत्र वाचन किया।
मुख्य अतिथि रत्नेश रत्नेश ने रतन चंद रत्नेश ने अपने संबोधन में हिमाचल प्रदेश के विभिन्न लघुकथा कारों का उल्लेख करते हुए कहा कि लघुकथा अपने आप में एक विधा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में भगवान देव चैतन्य, प्रदीप गुप्ता, अनिल कटोच, कृष्ण चंद्र महादेविया, सुदर्शन वशिष्ठ, रोशन जायसवाल, आदिती बंसल, हीरा सिंह कौशल ऐसे लघु कथाकार हुए हैं जिन्होंने लघु कथाओं में महारत हासिल की है। उन्होंने कहा कि लघुकथा किसी छोटी कहानी को नहीं कहा जा सकता बल्कि यह अपने आप में एक विषय लिए होती है जिसे सटीक टिप्पणी भी कहा जा सकता है।
इस अवसर पर बिलासपुर के समाजसेवी राज पाल सरीन ने शहीद भगत सिंह की फांसी के समय गाए जाने वाले गीत को गाकर माहौल को भावुक कर दिया। उन्होंने भारत को आजादी मिलने पर भी गाया जाने वाला गीत भी सुनाया। लघु कथा वाचन में अदिति कंसल ने सिमटती दूरियां, रणजोध सिंह ने एक दादा बूढ़े से, और जिथे मुर्गा बांग ना देवे, कृष्ण चंद महादेविया ने दूध का ऋण, रोशन जायसवाल विक्षिप्त ने मुर्गा ,लेखराज चौहान ने एक सीख, डॉ अनीता शर्मा ने नन्हा भिखारी और अंजलि पंडित ने सत्संगति कथा का वाचन किया। जमा दो की छात्रा अंजली राणा ने अपनी कविता यह सफर ही अच्छा है सुनाई। अतिथियों का धन्यवाद करते हुए रतन चंद निर्झर ने अपनी लघुकथा चूल्हा का वाचन किया।
कार्यक्रम में बिलासपुर के साहित्यकार राम लाल पाठक सुरेंद्र गुप्ता नवल किशोर अश्विनी सोहेल शिवपाल गर्ग अनीश ठाकुर रामपाल डोगरा ओमकर कपिला और ए डी रीतू भी उपस्थित रहे।