लक्ष्मीनारायण मंदिर में हर वर्ष की भांति महाशिवरात्रि महोत्सव का आयोजन क्यों नही:संदीप सांख्यान

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आवाज़ ए हिमाचल

अभिषेक मिश्रा,बिलासपुर
27 फरवरी।बिलासपुर जिला कांग्रेस सेवादल के महासचिव संदीप सांख्यान ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया है कि राजस्व बटोरने को लेकर मंदिरों का अधिग्रहण करने वाले हुक्मरान सनातनी परंपराओं को भूलते जा रहे हैं। जिससे श्रद्धालुओं में रोष व्याप्त है। उन्होंने आरोप लगाया कि बिलासपुर जिला की शान नगर के श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में होने वाले महाशिवरात्री पर्व की रौनक लालफीताशाही के कारण गायब है। उन्होंने कहा कि साल में एक बार होने वाले इस पर्व का शिव भक्त बेसब्री से इंतजार करते हैं,लेकिन हैरानी का विषय है कि इस बार इस पर्व को लेकर कोई कार्यक्रम ही घोषित नहीं हुआ है। संदीप सांख्यान ने बताया कि श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर न्यास के अधीन आता है तथा इसमें होने वाले हर धार्मिक व सामाजिक कामों को पूर्ण करवाने का दायित्व मंदिर न्यास का होता है।

हर साल महाशिवरात्रि से पूर्व दस दिन की महाशिव पुराण कथा होती थी जिसमें नगरवासी बढ़चढ़ कर योगदान देते हैं। यही नहीं इस महाशिव पुराण कथा के समापन अवसर पर विशाल भंडारे का आयोजन होता है, और यह नए साल का पहला शुभ भंडारा होता है। इस भंडारे में प्रसाद ग्रहण करने के लिए हजारों की संख्या में लोग शिरकत करते हैं। लेकिन इस बार न तो महाशिव पुराण कथा का आयोजन हुआ और न ही भंडारे को लेकर कोई चर्चा है। इस भंडारे में दानी सज्जन बढ़चढ़ कर योगदान देते हैं। संदीप सांख्यान ने कहा कि इस बारे कोविड महामारी का असर भी कम होता जा रहा है सरकार द्वारा बंदिशें खोल दी गई हैं।

नौनिहालों तक के स्कूल लग गए हैें। तो ऐसे में महा शिवरात्री पर्व को किन कारणों से नहीं मनाया जा रहा है। उन्होंने हैरानी व्यक्त की है कि मंदिर न्याय में करीब 18 न्यासी हैं जो विकासात्मक गतिविधियों में सहयोग करते हैं। लेकिन न्यासियों द्वारा भी कोई रूचि न दिखा पाना दर्शाता है कि वे भी सिफारिशी नाम अंकित करवाने के लिए कमेटी सदस्य बने हैं। हर महीने के अंतिम सप्ताह में मंदिर न्यास अधिकारी कार्यालय यानि एसडीएम कार्यालय से लोग मंदिर पहुंच कर सभी दान पात्रों से आय का ब्योरा प्राप्त करते हैं। लेकिन इस प्रकार की धार्मिक गतिविधियां जिन पर मंदिर, पूजा, धर्म और आस्था का अस्तित्व है, को भूल जाना समझ से परे हैं। उन्होंने कहा कि गत वर्ष कोरोना संक्रमण इन दिनों डरावनी स्थिति में था, बावजूद इसके मंदिर में महा शिवपुराण कथा का भव्य आयोजन हुआ तथा कथा संपन्न होने पर विशाल भंडारे का आयोजन तक हुआ। यही नहीं झांकियां तक निकाली गई थीं।

भंडारे में शहर ही नहीं बल्कि आसपास के हजारों श्रद्धालुओं ने योगदान दिया और प्रसाद ग्रहण किया। लेकिन इस बार जब माहौल गत वर्ष की अपेक्षा काफी बेहतर है तो शासन किन कारणों से इस आयोजन से मुंह मोड़ रहा है, यह भी स्पष्ट होना चाहिए। नलवाड़ी मेले को लेकर दो-तीन मीटिंग्स हो चुकी है लेकिन इस पर्व को तंत्र द्वारा भूलना या अनदेखी करना श्रद्धालुओं की आस्था से खिलवाड़ है।

मैं मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर तथा उपायुक्त बिलासपुर से आग्रह करना चाहता हूं कि इस आयोजन का समय निकल चुका है बावजूद इसके यदि शासन चाहे तो भंडारे का आयोजन हो सकता है। सरकार से यह भी आग्रह रहेगा कि अपनी व्यस्ताओं के चलते स्थानीय लोगो की धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों की तिलांजलि न दें। यह मामला जनभावना से जुड़ा है और इसको लेकर शहरवासियों में काफी नाराजगी भी है।

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