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बबलू सूर्यवंशी, शाहपुर। लोक-संस्कृति के तत्त्व चिन्तक, गंभीर अध्येता एवं वरिष्ठ साहित्यकार रमेश चन्द्र मस्ताना अपने पिता लच्छमन दास मस्ताना के जन्म शती वर्ष पर 18 अगस्त को श्रद्धांजलि स्वरूप एक साहित्यिक समारोह का आयोजन रैत में करने जा रहे हैं। इस समारोह में बहुभाषी कवि सम्मेलन के आयोजन के अतिरिक्त वह नव-प्रकाशित दो पुस्तकों का लोकार्पण करेंगे।
रमेश चन्द्र मस्ताना ने बताया कि 18 अगस्त को जहाँ उनके पिता लच्छमन दास मस्ताना का जन्मदिन है, वही यह वर्ष उनका जन्म शती वर्ष भी है।
उन्होंने अपने पिता की वर्ष 1950-51 से लेकर उनके परलोक गमन तक के समय तक की रचित कविताओं, नज़्मों एवं गज़लों को संकलित करके बिखरे फूल नामक पुस्तक के अतिरिक्त अपने आप कांगड़ी भाषा में कांगड़ा जनपद के साहित्यकारों द्वारा पुस्तक रूप में समस्त विधाओं के अन्तर्गत प्रकाशित साहित्य का मूल्यांकन करते हुए जो कांगड़ी-प्हाड़ी-च प्रकाशत साहित्त : रीत-परम्परां कनैं त्याह्स नामक पुस्तक प्रकाशित की है। उसका लोकार्पण भी इस समारोह में प्रस्तावित है।
समारोह में लोकार्पण के उपरांत जहाँ बिखरे फूल पर विरेन्द्र शर्मा वीर और कांगड़ी साहित्य पर प्रकाशित पुस्तक पर डाॅ. युगल किशोर डोगरा अपना-अपना वक्तव्य देंगे, वहीं पूरे कांगड़ा जनपद से आए हुए कवि अपनी-अपनी रचना अथवा बिखरे फूल में संकलित किसी भी रचना का अपनी इच्छानुसार श्रद्धांजलि स्वरूप पाठ करके, लच्छमन दास मस्ताना को श्रद्धा-सुमन अर्पित करेंगे।