आवाज़ ए हिमाचल
धर्मशाला। जिला कांगड़ा की सैन्य छावनी योल के अधीन आने वाले सिविल (नागरिक) क्षेत्र को बाहर करने की रक्षा मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर दी है। अब सिविल क्षेत्र को स्थानीय पंचायतों में शामिल कर दिया जाएगा। देश की यह पहली छावनी है, जहां से सिविल क्षेत्र को बाहर करने के आदेश जारी हुए हैं। केंद्र सरकार की ओर से जारी की गई इस अधिसूचना से छावनी क्षेत्र के हजारों लोगों को बड़ी राहत मिली है। अब इस क्षेत्र के लोग भवन सहित अन्य निर्माण कार्य आसानी से करवा सकेंगे।
इसके अलावा प्रदेश और केंद्र सरकार की सभी योजनाओं का लाभ भी ले सकेंगे। छावनी क्षेत्र में चल रहे स्वास्थ्य केंद्रों सहित अन्य संस्थान भी प्रदेश सरकार के अधीन कार्य करेंगे। वीरवार को भारत सरकार के राजपत्र में भी इस अधिसूचना को प्रकाशित कर दिया है। जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने शुक्रवार को छावनी अधिनियम, 2006 (2006 का 41) की धारा तीन की उपधारा (1) की ओर से प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए खास योल छावनी को छावनी बोर्ड से बाहर करने की अधिसूचना जारी कर दी है।
इस अधिसूचना के तहत 31 जनवरी, 1942 में परिभाषित की गई थी, वह अधिसूचना जारी होने की तारीख से छावनी का हिस्सा नहीं रहेंगी। इस मांग को पहले ही मान लिया गया था, लेकिन अधिसूचना केंद्र सरकार ने शुक्रवार को जारी की है। बता दें कि योल छावनी से स्थानीय क्षेत्र को बाहर करने की लंबे समय से मांग चल रही थी। लोगों के कई अधिकार खत्म हो गए थे। छावनी क्षेत्र में लोगों को आने-जाने में भी परेशानी होती थी। अब देश की 62 छावनियों के बाशिंदों को भी राहत मिलेगी। धीरे-धीरे सभी छावनियों के सिविल क्षेत्र को बाहर कर स्थानीय निकायों में मिला दिया जाएगा।