15 अक्तूबर। प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के तबादलों को लेकर नया आदेश जारी किया गया है। सरकार ने हाई कोर्ट के दो आदेशों के बाद इस पर लिखित निर्देश जारी किए हैं। ये निर्देश कर्मचारी यूनियनों का तबादलों में हस्तक्षेप को रोकने को लेकर है। हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग और बिजली बोर्ड के दो मामलों में अलग-अलग आदेश जारी किए हैं। शिक्षा विभाग से सामने आए सुशील कुमार बनाम स्टेट ऑफ एचपी केस में राज्य, शिक्षक महासंघ की सिफारिश पर हुए
तबादलों को हाई कोर्ट ने रद्द करते हुए शिक्षक महासंघ को चेतावनी दी थी कि अगर दोबारा ऐसा हुआ , तो उनकी रजिस्ट्रेशन या एफिलिएशन को रद्द कर दिया जाएगा। इसके बाद राज्य बिजली बोर्ड से भी विपेंद्र काल्टा बनाम स्टेट ऑफ एचपी केस में बिजली बोर्ड कर्मचारी, यूनियन के सिफारिश पर हुए तबादलों को इसी आधार पर हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था। इसमें भी कर्मचारी यूनियन को चेतावनी दी गई थी।
चूंकि इसी मामले में राज्य के मुख्य सचिव से भी कंप्लायंस मांगी गई थी, इसलिए राज्य सरकार को इस बारे में अलग से सभी प्रशासनिक सचिवों और सभी विभागाध्यक्षों को लिखित निर्देश जारी करने पड़े। निर्देशों में कहा गया है कि हाई कोर्ट ने सरकारी महकमों में तबादलों के लिए सक्रिय गैर संवैधानिक इकाइयों पर आपत्ति जताई है,
इसलिए सभी कर्मचारी यूनियन इन निर्देशों का पालन करें और किसी विभाग में कर्मचारी यूनियन के सिफारिश पर कोई तबादले न किए जाएं। ये निर्देश बोर्ड कॉरपोरेशन के लिए भी हैं। हाई कोर्ट ने कहा है कि कर्मचारी यूनियनों का विभागों के प्रशासनिक मामलों में कोई कार्य क्षेत्र नहीं है। ऐसे में इनकी सिफारिश पर कोई भी विभाग तबादले न करें। यदि मुचुअल आधार पर तबादला है, तो इस तरह के आवेदन या रिक्वेस्ट की जा सकती है।