आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। प्रदेश में जाली पहचान पर सक्रिय फर्जी सिम कार्ड के मुद्दे पर दूरसंचार विभाग (डीओटी), दूरसंचार सेवा प्रदाता (टीएसपी) और पुलिस विभाग के अधिकारियों की एक बैठक सीआईडी मुख्यालय शिमला में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता एडीजीपी स्टेट सीआईडी सतवंत अटवाल त्रिवेदी ने की। बैठक में एडीजीपी लॉ एंड ऑर्डर अभिषेक त्रिवेदी ने भी भाग लिया। बैठक में डीओटी, संचार मंत्रालय, भारत सरकार की डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट की प्रमुख खोज थी, जिसके अनुसार उन्होंने टीएसपी (एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया, रिलायंस जियो और बीएसएनएल) के ग्राहक डाटा का विश्लेषण करने के लिए उन्नत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और चेहरे की पहचान आधारित तकनीक का उपयोग किया है, जिसमें 3,694 फर्जी सिम कार्डों की पहचान की है, जो राज्य में टीएसपी के विभिन्न प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) टर्मिनलों द्वारा जाली/नकली पहचान पर सक्रिय किए हैं। ये सिम कार्ड एक ही फोटो का इस्तेमाल कर अलग-अलग नाम और पते पर जारी किए हैं। डीओटी ने पुलिस विभाग को अवगत करवाया कि प्रदेश में कुछ पीओएस टर्मिनल हैं, जिन्होंने जाली पहचान पर 100 से अधिक सिम कार्ड जारी किए हैं और 970 ऐसे पीओएस टर्मिनल हैं, जिन्होंने कम से कम एक फर्जी सिम कार्ड जारी किया है।
कांगड़ा जिला में पीओएस टर्मिनलों की सबसे अधिक सघनता है, जो फर्जी सिम कार्ड जारी करने में लिप्त हैं। टीएसपी ने सब्सक्राइबर को सिम कार्ड जारी करने में उनके द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया का विवरण प्रस्तुत किया। पुलिस अधिकारियों ने टीएसपी और डीओटी के संज्ञान में लाया कि किन्नौर जिला में एक पीओएस टर्मिनल के खिलाफ एक टीएसपी की शिकायत पर पहले ही एक एफआईआर दर्ज की जा चुकी है और अन्य स्टेशनों में नौ शिकायतों की जांच भी चल रही है।