आवाज़ ए हिमाचल
06 अप्रैल।हिमाचल प्रदेश में 27 फरवरी को पूर्ण हुई राज्यसभा चुनाव प्रक्रिया को कांग्रेस प्रत्याशी एवं वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्य हाईकोर्ट में चुनौती दी है। मतदान में बराबरी के बाद पर्ची से निकाले गए परिणाम पर सवाल उठाते हुए सिंघवी ने चुनाव रद्द करने की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा कि पर्ची जिस प्रत्याशी की निकलती है, उसे हारा हुआ करार देने की धारणा कानूनी रूप से न्यायसंगत नहीं है। मुकाबला बराबरी पर रहने के बाद क्या होना चाहिए था, इसकाे लेकर भी याचिका के माध्यम से अपनी बात हाईकोर्ट में रखी है। शनिवार को खुद हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर करने पहुंचे सिंघवी ने हर्ष महाजन की जगह उन्हें विजयी घोषित करने की मांग याचिका में रखी है। 18 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई संभावित है।अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने शनिवार को हिमाचल हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के बाद कहा कि यदि दो प्रत्याशियों को बराबर-बराबर वोट मिलते हैं, तो उस सूरत में पर्ची डालकर प्रत्याशी घोषित करने का जो फार्मूला है, वह गलत है। आमतौर पर जिसका नाम पर्ची में निकलता है, उसे जीतना चाहिए, लेकिन इस चुनाव में जिसके नाम की पर्ची निकली, उसे हारा हुआ प्रत्याशी घोषित किया गया। इसलिए अगर यह धारणा गलत है तो चुनाव परिणाम भी गलत है। कानून में ऐसा कोई नियम नहीं है, लेकिन नियम की एक धारणा को कोर्ट में चुनौती दी गई है।उन्होंने कहा कि इस तरह की याचिका दायर करने के लिए याचक को खुद कोर्ट आना पड़ता है, ऐसा नियम है। इसके चलते वह स्वयं आए हैं। 27 फरवरी को हिमाचल प्रदेश की राज्यसभा की एक सीट के लिए चुनाव हुआ था। इसमें तीन निर्दलियों समेत कांग्रेस के छह बागी विधायकों ने कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी को वोट न देकर भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन को वोट दिया था। 68 सदस्यों वाली हिमाचल विधानसभा में 34-34 मत दोनों प्रत्याशियों को मिले। मुकाबला बराबरी पर रहने के बाद पर्ची सिस्टम से नाम निकाला गया। पर्ची सिंघवी के नाम की निकली और विजेता भाजपा के प्रत्याशी हर्ष महाजन को घोषित किया गया। अब पर्ची सिस्टम की इसी प्रक्रिया को सिंघवी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है और चुनाव रद्द करने की गुहार लगाई है।