आवाज ए हिमाचल
विनोद चड्ढा,बिलासपुर
02 जनवरी। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव एवं पूर्व विधायक राजेश धर्माणी ने हिमाचल में पंचायत चुनावों के लिए तैयार की गई मतदाता सूचियों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र में स्थाई निवासी होने के बावजूद बड़ी संख्या में लोगों के नाम मतदाता सूचियों से गायब हैं। आलम यह है कि पूर्व में पंचायत प्रतिनिधि चुने गए कई लोग भी इस बार मतदाता सूचियों में नाम न होने की वजह से चुनाव लड़ने से वंचित हो गए हैं। इसके विपरीत कई स्थानों पर प्रवासियों के नाम मतदाता सूचियों में शामिल कर दिए गए हैं। इसकी गहन जांच करके उचित कार्रवाई करने के साथ ही मतदाता सूचियां बनाने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों की जिम्मेदारी भी तय की जानी चाहिए।
राजेश धर्माणी ने कहा कि पंचायत चुनावों के लिए बनाई गई मतदाता सूचियों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई है। घुमारवीं नगर परिषद समेत विधानसभा क्षेत्र की लगभग हर पंचायत में बड़ी संख्या में ऐसे लोगों के नाम मतदाता सूचियों से गायब हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी स्थाई निवासी हैं। उनके पास मलकियत जमीन है। परिवार रजिस्टर में नाम दर्ज होने के साथ ही उनके राशन कार्ड भी बने हैं। चाहे पंचायत चुनावों की बात हो अथवा लोकसभा व विधानसभा चुनाव की, यह लोग हर बार मतदान करते आए हैं। ऐसे में इस बार मतदाता सूचियों में नाम न होने की वजह से वे भी हक्के-बक्के रह गए हैं। इसी वजह से इस बार कई लोग पात्र होने के बावजूद चुनाव लड़ने से वंचित रह गए।
राजेश धर्माणी ने कहा कि मतदाता सूचियों में नाम न होने की शिकायतें पूरे प्रदेश से मिल रही हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि यह सब किसके इशारे पर किया गया। प्रबुद्ध मतदाताओं को लोकतंत्र के पर्व में हिस्सेदार बनने से वंचित करने के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है। क्या इसके लिए मतदाता सूचियां बनाने वाले अधिसकारियों और कर्मचारियों की जवाबदेही तय नहीं होनी चाहिए। इस तरह की स्थितियां विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकती हैं। इसमें सुधार लाने के लिए समय रहते कारगर कदम उठाए जाने की जरूरत है। चुनाव के समय मतदाताओं को पर्ची वितरित की जाती है। यह काम 3-4 सप्ताह पहले होना चाहिए, ताकि यदि किसी मतदाता का नाम सूची में न हो तो वह मौके पर ही फाॅर्म भरकर अपना नाम दर्ज करवाने के लिए आवेदन कर सके।
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