राजस्थान में दलित छात्र की हत्या के मामले में बिलासपुर में निकाला कैंडल मार्च, किया प्रदर्शन

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डीसी के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन

आवाज़ ए हिमाचल

अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर। राजस्थान के जालौर में जातिगत भेदभाव का शिकार हुए एक शिक्षक द्वारा एक दलित बालक की हत्या के मामले में बिलासपुर में विभिन्न संगठनों के लोगों ने कैंडल मार्च निकाल कर रोष प्रदर्शन किया तथा उपायुक्त बिलासपुर के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को ज्ञापन प्रेषित किया। इससे पूर्व विभिन्न संगठन गुरू रविदास मंदिर रौड़ा सेक्टर परिसर में एकत्रित हुए और वहां से विशाल जुलूस निकाला जो कि शहर की परिक्रमा करते हुए डीसी आफिस पहुंचा। इस दौरान उन्होंने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

इस संयुक्त प्रदर्शन में अजा, जजा एवं अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्प संख्यक संयुक्त मोर्चा, कबीरपंथी समाज सुधार सभा बिलासपुर, संत शिरोमणी गुरू रविदास महासभा बिलासपुर, विश्वकर्मा महासभा, नामदेव सुधार सभा, महर्षि बाल्मिकी जिला सभा, समाजिक न्याय मंच, समता सैनिक दल व जिला जामा मस्जिद कमेटी के लोग मौजूद रहे।

इस अवसर पर हिप्र एससी, एसटी एवं ओबीसी के प्रदेश संयुक्त सचिव कर्म सिंह ने कहा कि देश में तानाशाही का आलम है। आजादी के अमृत महोत्सव मनाने वाले हुक्मरान रूढ़िवादी छुआछूत से छुटकारा दिलाने में पूरी तरह से असफल साबित हुई है।

उन्होंने कहा कि राजस्थान के जालौर की घटना ने एक बार फिर से मानवता को शर्मसार किया है। इंद्र मेघवाल की प्यास ही उस बच्चे की मौत का कारण बनी। दलित बच्चे को क्या मालूम था कि जिस मटके से वह पानी पी रहा है वह स्वर्ण है। शिक्षक ने पानी पीने के दोष में इंद्र मेघवाल को इतना पीटा कि उसकी मौत हो गई। कर्म सिंह ने कहा कि संविधान निर्माता बाबा साहेब डा. बीआर अंबेडकर पूरी उम्र जातिवाद के खिलाफ लड़ते रहे। उनके संघर्ष का परिणाम है कि आज दबे कुचले और पिछड़े लोग अपने हकों की आवाज उठा रहे हैं, अन्यथा इनकी हैसियत स्वर्णों के आगे कीड़े मकोड़ों से ज्यादा न थी। लेकिन समाज आज शिक्षित और जागरूक हो गया है।

कर्म सिंह ने कहा कि पानी पीने के जुर्म में बच्चे की हत्या करने वाले शिक्षक को फांसी की सजा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश भी इससे अछूता नहीं है। यहां भी जाति मरने के बाद भी नहीं जाती है। दंबगों द्वारा दलित व्यक्ति की मौत पर उन्हें सार्वजनित श्मशानघाट में जलाने नहीं दिया जाता। ऐसे वाक्य बिलासपुर में भी हुए हैं और होते रहते हैं। उन्होंने कहा कि समाज का हर वर्ग शिक्षित है लेकिन मानसिकता अभी भी रूढ़िवादी बेेड़ियों में जकड़ी है। वहीं जिला सचिव आचार्य नंद लाल ने कहा कि छुआछूत और मनुवादी विचारधारा की दमनकारी नीतियों के कारण हो रहा शोषण आज भी जारी है। अधिकांश विभाग, संस्थाओं और संस्थानों में छुआछूत आज भी जारी है। उन्होंने महिमहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा अन्य जिम्मेवारी नेताओं से मांग की है कि इंद्र मेघवाल के हत्यारे के खिलाफ कड़ी से कड़ी कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जाए तथा छुआछूत जैसे घिनौने कृत्य पर सख्त कानून बनाया जाए ताकि इस भेदभाव को समाप्त किया जाए।

इस अवसर पर विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों में भगत सिंह, शशिपाल, हारून मोहम्मद, जमील खान, अनिल किशोर, राम दयाल, कृष्ण लाल, बंती देवी, सीता राम कौंडल, बलदेव सिंह, बुद्धि सिंह पुंडीर, सुविधा देवी सहित सैंकड़ों लोग उपस्थित थे।

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