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जीडी शर्मा, राजगढ़
10 अक्टूबर।क्षेत्र के प्रसिद्व आराध्य देव शिरगुल महाराज के राजगढ़ मंदिर में चल रही 11 दिविसय शिव महापुराण कथा तथा चंडी महायज्ञ हवन व पूर्णाहुति के साथ संपन्न हो गया।
इस शिव महा पुराण कथा का आयोजन शिरगुल मदिर कमेटी राजगढ द्वारा क्षेत्र की जनता के सहयोग से विश्व की प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा विश्व शांति क्षेत्र की सुख स्मृद्वि व जन कल्याण हेतू किया गया था।मंदिर कमेटी के प्रधान सूरत सिह जेलदार ने बताया कि मंदिर परिसर मे 11 दिनों तक पुराण का मूल पाठ ,पूर्वाग वैदिक पूजन ,भजन कीर्तन ,कथा प्रवचन संध्या आरती व भंडारो का आयोजन किया गया। 11 दिनों तक यहा शिव महिमा का व्याख्यान कथा वाचक नदीश्चर महाराज द्वारा किया गया आज इस कथा का समापन हवन यज्ञ के साथ हुआ जिसमे सैकडो भक्तों ने पूर्णाहुति डाल कर पूण्य कमाया।अंतिम दिन व्यासपीठ से कथा वाचक डॉ नन्दीश्वर महाराज ने कथा की अमृत वर्षा करते हुए कहा कि शिवपुराण की कथा मोक्ष दायिनी है। उन्होंने कहा कि धार्मिक आयोजन में पहुंचकर कथा श्रवण करना, यह पुण्य कर्मों से ही प्राप्त होता है। कथा में वही लोग पहुंच पाते हैं, जिन पर भगवान की कृपा होती है। व्यासपीठ से उन्होंने कहा कि भगवान शंकर ने अपने भक्तों के कल्याण के लिए ही विष पान किया था। उसी के चलते वह नील कंठ कहलाए। शंकर इतने भोले हैं कि जल का लोटा शिवलिंग पर अर्पण करने मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि जिस स्थान पर शिव महापुराण कथा का आयोजन होता है वह स्थान तीर्थ बन जाता है । डॉ नन्दीश्वर ने कहा कि 11 दिन तक कथा सुनने का अर्थ तब पूर्ण होगा जब हम अपना कम से कम एक विकार त्याग कर जाएंगे । 11 दिन तक चली कथा में उन्होंने भगवान शिव के विभिन्न प्रसंगों का व्याख्यान किया और शिव भक्तों ने भगवान शिव की महिमा का रसपान किया।