रमेश चन्द्र ‘मस्ताना’ व प्रभात शर्मा सहित 4 साहित्यकारों को मिलेगा ‘कला गुरु सम्मान’  

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3 सितम्बर को धर्मशाला में अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती करेगी सम्मानित

आवाज़ ए हिमाचल 

बबलू सूर्यवंशी, शाहपुर। साहित्य एवं कला के संरक्षण व संवर्द्धन की दिशा में उल्लेखनीय कार्य करने वाली अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती की कांगड़ा इकाई के द्वारा 3 सितम्बर 2023  को गुंजन रेडियो, सिद्धबाड़ी (धर्मशाला) के सभागार में साहित्य एवं कला के क्षेत्र में विभिन्न विधाओं के रचना धर्मियों को एक गरिमामयी समारोह में सम्मानित किया जाएगा।

समारोह के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए संस्कार भारती की कांगड़ा इकाई के संयोजक डॉ. कंवर करतार एवं डॉ. जनमेजय गुलेरिया ने बताया कि इस सम्मान समारोह में साहित्य, शिक्षा एवं कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियों को दृष्टिगत रखते हुए संगीत प्रो. वन्दना भडवार, प्रो. जितेन्द्र सिंह, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी प्रभात शर्मा और साहित्य एवं शिक्षाविद् के रूप में ख्याति प्राप्त रमेश चन्द्र ‘मस्ताना’ को ‘कला गुरु सम्मान’ से गुरु-शिष्य परम्परा के अन्तर्गत सम्मानित किया जाएगा, जिसमें इनके शिष्यों की भी सहभागिता रहेगी। समारोह में द्रोणाचार्य स्नातकोत्तर शिक्षा महाविद्यालय रैत (कांगड़ा) के कार्यकारी निदेशक डॉ. बलविन्द्र पठानिया मुख्य अतिथि के रूप में और संस्कार भारती की कांगड़ा इकाई के समस्त पदाधिकारी व गुंजन रेडियो के प्रबन्धक तथा अन्य सहयोगी सम्मिलित रहेंगे।

समस्त शाहपुर क्षेत्र एवं मीडिया ग्रुप आवाज़ ए शाहपुर/आवाज़ ए हिमाचल के लिए यह अत्यंत गौरव की बात है कि प्रभात शर्मा, जहां राजस्व विभाग में विभिन्न पदों एवं हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड से सचिव पद से सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी एवं साहित्यकार हैं, वहीं रमेश चन्द्र ‘मस्ताना’ का हिन्दी व हिमाचली-पहाड़ी साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान है। यह दोनों जहां साहित्यिक मित्र एवं दूरदराज के दुर्गम क्षेत्रों की घुमक्कड़ी करने वालों के रूप में तो चर्चित हैं ही वहीं मीडिया ग्रुप आवाज़ ए हिमाचल के द्वारा शाहपुर-गौरव सम्मान से भी सम्मानित हैं।  रमेश चंद्र ‘मस्ताना’ अब तक लगभग दर्जन भर पुस्तकें लिख कर एवं सम्पादित कर प्रकाशित करवा चुके हैं। इनमें झांझर छणकै (हिमाचली पहाड़ी दोहे) आस्था के दीप: लोक विश्वास, लोकमानस के दायरे, पांगी घाटी की पगडंडियां एवं परछाइयां, पक्खरु बोलै (हिमाचली पहाड़ी कविता संग्रह), काग़ज़ के फूलों में, मिट्टिया दी पकड़ आदि पुस्तकें ‘मस्ताना’ हिंदी एवं हिमाचली-पहाड़ी साहित्य को दे चुके हैं। इसी के साथ-साथ आकाशवाणी के कई केंद्रों से उनकी रचनाओं का लगातार प्रसारण होता ही रहता है।

शिक्षाविद् के रूप में नेरटी गांव से संबंधित रमेश चन्द्र ‘मस्ताना’ अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी के शिक्षा व्यवसाय से जुड़े हुए प्राध्यापक पद से सेवानिवृत्त शिक्षक हैं। इनके दादा लाहौर में मुदर्रिस और पिता केन्द्रीय मुख्य शिक्षक रहे हैं और यह भी सौभाग्य की बात है कि इनके दोनों बेटे भी ज्वालामुखी जमा दो विद्यालय और चम्बा महाविद्यालय में वोकेशनल प्रशिक्षक के रूप में अपनी-अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

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