मुख्यमंत्री से मिल कर भी सैटल नहीं हुए ग्रीन ग्रोवर एसोसिएशन बिलासपुर के ऋण मामले

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आवाज ए हिमाचल

अभिषेक मिश्रा,बिलासपुर

10 अप्रैल।उद्यान विभाग द्वारा जिला बिलासपुर में फूलों की खेती के लिए वर्ष 2007 – 08 में ग्रीन हाउस के लिए योजना निकाली थी जिसके तहत जिला भर के किसानो ने ग्रीन हाउस तो लगा लिए परन्तु काम न होने की वजह से यह ग्रीन हाउस बेकार हो गये और इनके लिए लिए लिया भारी भरकम ऋण अब किसानो के गले की फांस बन गया है।वर्ष 2007 – 08 में आठ से दस लाख का लिया ऋण अब 40 से 50 लाख तक पहुँच गया है। ऋण न देने की सूरत में बैंक ने जहाँ एक तरफ किसानो की जमीने कुर्क कर ली है वही दूसरी तरफ चेक बाउंस के केस लगा दिए है,जिससे अब किसानो को न्यायलय के चक्कर काटने पड़ रहे है।

किसानो ने बताया की जिन किसानो ने राष्ट्रीयकृत बैंको से ऋण लिया था और ऋण चुका न पाए उनके लिए राष्ट्रीयकृत बैंको ने नई स्कीम निकाली जिसके तहत किसानो के ऋण का सारा ब्याज माफ़ करके उनके मूलधन का मात्र 10 फीसदी देने पर ऋण के केस सेटल किए,परन्तु जिन किसानो ने राज्य सहकारी बैंक तथा कृषि एवं ग्रमीण विकास बैंक से ऋण लिया था उन्हें यह बैंक कोई राहत नही दे रहे है। बैंक ने उनके लिए न कोई योजना निकाली और न ही ब्याज छोड़ रहे है। इन बैंको ने किसानों की जमीन को कुर्क करके अपने नाम करवा लिया है और इन किसानों के चेक बैंक में बाउंस हो गए है जिस कारण इन्हें कोर्ट के मुकद्दमें भुगतने पड़ रहे है। ऋण लेने से इन किसानों की जमीने जाने के साथ – 2 कोर्ट में मुकद्दमें भुगतने पड रहे है। किसान बाबूराम ठाकुर , मनोहरलाल , राजेन्द्र , सिल्लू , सुभाष, नरेंद्र , दुर्गा राम , संजू , लेखराम , बलदेव जीतुराम आदि किसानों ने बताया कि सदर विधायक सुभाष ठाकुर की अगुवाई में वह लोग 10 मार्च को शिमला में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मिल चुके है।

मुख्यमंत्री ने उनके ऋण मामले सुलझाने का आश्वासन दिया था, परन्तु इस पर कोई कार्यवाही नही हुई है। इसके अलावा वे भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मिल चुके है,उन्होंने भी उनकी इस मांग को हल करने का वायदा किया था परन्तु अभी समस्या ज्यो की त्यों बनी हुई है। इन किसानों का कहना है कि किसानों के करीब 2 करोड़ के मामले ही सेटल करने को है।इसके अलावा किसानों ने कोरोना काल में लगे लॉक डाउन के समय ऋण पर ब्याज माफ करने की भी गुहार लगाई है,क्योंकि काम धंधे बन्द होने के कारण उन्हें अपना परिवार पालन ही मुश्किल था इस कारण वे ऋण तले दब गए है। किसानो ने सरकार से मांग की है कि राष्ट्रीयकृत बैंक की तर्ज पर राज्य सहकारी बैंक तथा कृषि एवम ग्रमीण विकास बैंक में भी स्कीम निकाली जाए,जिसके तहत किसानो का ब्याज माफ़ कर मूलधन का दस फीसदी जमा करवा कर केस की सेटलमेंट की जाए,क्योंकि ऋण एक ही काम के लिए लिया गया था,जिसने राष्ट्रीयकृत बैंक से लिया उसको फायदा हो गया और जिसने राज्य बैंक से लिया उसके लिए गले की फांस बन गया।सभी बैंको में एक ही योजना के तहत इन ऋण मामलो की सेटलमेंट की जाए।

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