आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने कहा है कि एनपीए लेने वाले डाॅक्टरों को हड़ताल पर जाने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि जिन डाॅक्टरों को नौकरी नहीं मिली है, उनका एनपीए विद्ड्रा हुआ है लेकिन इसको बंद नहीं किया गया है। सीएम यहां पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि बेरोजगार डैंटल डाॅक्टरों का प्रतिनिधिमंडल जब उनसे मिलने आया था तो उन्होंने एनपीए की जगह सरकारी क्षेत्र में नौकरी देने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में 3000 डाॅक्टर बेरोजगार हैं, जिसे देखते हुए मंत्रिमंडल ने 38 डाॅक्टरों के पदों को भरने की स्वीकृति प्रदान की है। इन पदों को करीब 2 से 3 वर्ष के अंतराल के बाद भरा जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब डाॅक्टरों की भर्ती होगी तो उसके बाद इस विषय पर पुनर्विचार किया जा सकता है।
डाॅक्टर विरोध करने की बजाय काम करें
मुख्यमंत्री ने कहा कि डाॅक्टरों को विरोध करने की बजाय पहले की तरह सहज तरीके से काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि डाॅक्टरों की पैन डाऊन स्ट्राइक का कोई औचित्य नहीं है और उनको इस विषय में बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार उनके पक्ष को सहानुभूतिपूर्वक सुनेगी।
एनपीए बंद करना जनविरोधी निर्णय : अजय राणा
भाजपा नेता अजय राणा ने कहा कि 5 माह के भीतर सरकार के व्यवस्था परिवर्तन की पोल खुलकर रह गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार झूठ बोलकर सत्ता में आई है। उन्होंने कहा कि डाॅक्टरों के एनपीए को बंद करना जनविरोधी निर्णय है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 95 फीसदी लोग उपचार के लिए सरकारी संस्थानों में आते हैं। लिहाजा ऐसे में डाॅक्टरों के पैन डाऊन स्ट्राइक पर जाने से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल के बीच आपसी तालमेल नहीं है। उन्होंने कहा कि खुद स्वास्थ्य मंत्री एनपीए बंद करने के निर्णय की जानकारी नहीं होने से इंकार कर चुके हैं।