आवाज ए हिमाचल
18 फरवरी।उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने राजस्थान के उदयपुर में दूसरे ऑल इंडिया स्टेट वाटर मिनिस्टर्स कॉन्फ्रेंस में जल जीवन मिशन में अधूरी करीब 1000 पेयजल योजनाओं के लिए 2000 करोड़ जारी करने की मांग उठाई। कॉन्फ्रेंस के दौरान अपने संबोधन में मुकेश ने पहाड़ी राज्यों के लिए विशेष नीति बनाने की पैरवी की और मौसम चक्र में बदलाव से घटते जल स्रोतों को बचाने के लिए नए विकल्प तलाशने का भी सुझाव दिया।
मुकेश अग्निहोत्री ने हिमाचल की ओर से बर्फ एवं जल संरक्षण के लिए 1269.29 करोड़ रुपये और सूखे और खराब पड़े लगभग 2000 हैंडपंपों और टयूबवेलों के माध्यम से ‘भूजल के पुनर्भरण’ के लिए तैयार की गई एक विस्तृत परियोजना को अमल में लाने के लिए भी केंद्र सरकार से वित्त पोषण की भी मांग उठाई। साथ ही केंद्रीय स्वीकृति के लिए लंबित पीएमकेएसवाई-हर खेत को पानी और पीएमकेएसवाई और एआईबीपी में प्रस्तावित नई सतही लघु सिंचाई और मध्यम सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी देने का भी आग्रह किया।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश का 65 फीसदी हिस्सा वन क्षेत्र के तहत आता है जो केन्द्र के अधिकार क्षेत्र में है, जिससे विकास परियोजनाओं के लिए भूमि की उपलब्धता सीमित हो गई है। वन संरक्षण के लिए हिमाचल जल संरक्षण, पर्यावरण और पारिस्थितिकी को बचाने में बड़ा योगदान दे रहा है। इसकी एवज में केंद्र को हिमाचल को विशेष पैकेज दिया जाना चाहिए।
उच्च पर्वतीय राज्यों के लिए विशेष फंडिंग विंडो बने
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने राजस्थान के उदयपुर में दूसरे ऑल इंडिया स्टेट वाटर मिनिस्टर्स कॉन्फ्रेंस में जल जीवन मिशन में अधूरी करीब 1000 पेयजल योजनाओं के लिए 2000 करोड़ जारी करने की मांग उठाई। कॉन्फ्रेंस के दौरान अपने संबोधन में मुकेश ने पहाड़ी राज्यों के लिए विशेष नीति बनाने की पैरवी की और मौसम चक्र में बदलाव से घटते जल स्रोतों को बचाने के लिए नए विकल्प तलाशने का भी सुझाव दिया।
मुकेश अग्निहोत्री ने हिमाचल की ओर से बर्फ एवं जल संरक्षण के लिए 1269.29 करोड़ रुपये और सूखे और खराब पड़े लगभग 2000 हैंडपंपों और टयूबवेलों के माध्यम से ‘भूजल के पुनर्भरण’ के लिए तैयार की गई एक विस्तृत परियोजना को अमल में लाने के लिए भी केंद्र सरकार से वित्त पोषण की भी मांग उठाई। साथ ही केंद्रीय स्वीकृति के लिए लंबित पीएमकेएसवाई-हर खेत को पानी और पीएमकेएसवाई और एआईबीपी में प्रस्तावित नई सतही लघु सिंचाई और मध्यम सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी देने का भी आग्रह किया।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश का 65 फीसदी हिस्सा वन क्षेत्र के तहत आता है जो केन्द्र के अधिकार क्षेत्र में है, जिससे विकास परियोजनाओं के लिए भूमि की उपलब्धता सीमित हो गई है। वन संरक्षण के लिए हिमाचल जल संरक्षण, पर्यावरण और पारिस्थितिकी को बचाने में बड़ा योगदान दे रहा है। इसकी एवज में केंद्र को हिमाचल को विशेष पैकेज दिया जाना चाहिए।
उच्च पर्वतीय राज्यों के लिए विशेष फंडिंग विंडो बनाने का रखा प्रस्ताव
मुकेश अग्निहोत्री ने उच्च पर्वतीय राज्यों के लिए एक विशेष फंडिंग विंडो बनाने का प्रस्ताव रखा जिससे हिमाचल के किन्नौर, लाहौल-स्पीति और चम्बा के जनजातीय और ठंडे क्षेत्रों में 12 महीने निर्बाध जलापूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एंटी-फ्रीज़ जल आपूर्ति योजनाओं का निर्माण किया जा सके जिनमें इन्सुलेटेड पाइपलाइन, हीटेड टैप सिस्टम और सौर-चालित पंप शामिल हैं।मुकेश अग्निहोत्री ने उच्च पर्वतीय राज्यों के लिए एक विशेष फंडिंग विंडो बनाने का प्रस्ताव रखा जिससे हिमाचल के किन्नौर, लाहौल-स्पीति और चम्बा के जनजातीय और ठंडे क्षेत्रों में 12 महीने निर्बाध जलापूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एंटी-फ्रीज़ जल आपूर्ति योजनाओं का निर्माण किया जा सके जिनमें इन्सुलेटेड पाइपलाइन, हीटेड टैप सिस्टम और सौर-चालित पंप शामिल हैं।